नई दिल्ली: अगर आप नौकरीपेशा हैं तो निश्चित तौर पर आपकी कंपनी आपके खाते से कुछ राशि PF के नाम पर काटती होगी। इतनी ही राशि कंपनी भी अपनी तरफ से आपके खाते में दर्ज कराती है। इस तरह से आप जब तक नौकरी करते हैं आपके पास निकट भविष्य के लिए एक अच्छा खासा धन जमा हो जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका जो पैसा EPFO ऑफिस में जमा होता है उसे नौकरी छोड़ने के बाद किस तरह से निकाला जाता है। आमतौर पर पहले कंपनी आपको आपका पीएफ नंबर दे देती थी। लेकिन 1 जनवरी 2014 से पीएफ खाते के लिए सरकार ने UAN को अनिवार्य कर दिया है। इस यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर के जरिए आप यह जान सकते हैं कि आप जिस कंपनी में काम कर रहे हैं उसका मालिक आपको खाते में बराबर पैसा जमा करवा भी रहा है या नहीं। यूएन के जरिए आप ऑनलाइन माध्यम से भी अपनी पीएफ संबंधी जानकारी पा सकते हैं।
नौकरी छोड़ी है तो सबसे पहले यह जाने
- अगर आपने जनवरी 2014 के पहले नौकरी छोड़ी है तो आपको यूएन नंबर नहीं मिलेगा।
- नहीं है यूएन नंबर तो भी घबराएं नहीं। आप अपने पीएफ नंबर का इस्तेमाल करके भी अपना पैसा निकाल सकते हैं।
- अगर आपके पास सिर्फ पीएफ नंबर है या पीएफ और यूएन नंबर दोनों हैं तो भी आपको अपनी पूर्व कंपनी से जरूरी जांच करवानी होगी।
- मान लें अगर आपकी कंपनी भाग गई या उसने कोई धोखाधड़ी कर दी, तो भी आप घबराएं नहीं। आप अपने इलाके के मेयर से जांच करवा कर अपनी कंपनी द्वारा दिए गए पीएफ नंबर के जरिए अपनी पीएफ राशि निकलवा सकते हैं।
छोड़ दी है नौकरी तो कीजिए दो महीने का इंतजार-
अगर आप नौकरी छोड़ चुके हैं तो आपको थोड़ा सबर करना पड़ेगा। क्योंकि 45 दिन से पहले आपकी कंपनी आपका फुल एंड फाइनल यानी FNF नहीं देगी। वहीं दूसरी बात आप जिस दिन आवेदन करेंगे उसके 15 दिन बाद तक का आपको कम से कम इंतजार करना ही होगा। यानी आपके हाथ में आपका पैसा आने में दो महीने का वक्त तो लगता ही है। नौकरी छोड़ने के बाद आपको फॉर्म नंबर-19 और फॉर्म नंबर-10सी भरकर अपने एचआर को थमाने होते हैं। इन फॉर्म में आपको अपना अकाउंट नंबर, नाम और स्थानीय पता भरना होता है। साथ ही आपको इस फॉर्म पर दो रेवेन्यू टिकट भी नत्थी करने होते हैं। ये टिकट एक रुपए के मूल्य के होते हैं। इस सबके बाद जब आप अपनी ऑफिस एचआर को यह फॉर्म थमाते हैं तो वह आपसे इंतजार करने को कहता है। इस फॉर्म को कंपनी के अधिकारी वैरीफाई करते हैं। इस प्रक्रिया में कंपनी के हिसाब से वक्त लग सकता है। जब आपके द्वारा जमा किए गए फॉर्म को आपका कंपनी एचआर ओके कर देता है तो फिर इसे ले जाकर ईपीएफओ ऑफिस में जमा करना होता है। वैसे अगर कर्मचारी चाहे तो कंपनी को इस प्रकिया को करने को भी कह सकता है और कंपनी खुद इन दोनों फॉर्म को जमा करवा सकती है। जब आपके फॉर्म ईपीएफओ के ऑफिस पहुंचते हैं तो वह भी कुछ वैरीफिकेशन करता है। यानी आपके साइन, आपकी खाता संख्या, आपकी कंपनी के अधिकारी के हस्ताक्षर और कंपनी की मुहर की जांच की जाती है। सब कुछ ओके होने के बाद जांच अधिकारी फॉर्म को आगे की प्रक्रिया के लिए फाइनेंस विभाग के पास भेज देता है।
इतनी सारी प्रक्रिया से गुजरने के बाद कुछ ही दिनों में आपका पूरा पैसा आपके पास भेज दिया जाता है। आपके कुल अमाउंट में ब्याज की राशि भी जुड़ी होती है जो सालाना आपके धन पर मिलती है। फिलहाल यह राशि 8.7 फीसदी है। हालांकि यह राशि हर साल संशोधित होती रहती है। वैसे तो पैसे मिलने में न्यूनतम समय एक हफ्ता है लेकिन कभी कभी इस प्रक्रिया में एक हफ्ता भी लग जाता है।