नई दिल्ली। आज कल काले धन की चर्चा हर ओर है। काले धन की सामान्य परिभाषा यह है कि जो पैसा हम इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करते समय छिपाते हैं, वहीं काला धन होता है। अक्सर हम रिटर्न फाइल करते समय अनजाने में कई बातें जाहिर नहीं करते। जो बाद में काफी भारी पड़ती हैं। इंडिया टीवी की टीम अपने रीडर्स को ऐसी पांच गलतियों के बारे में बताने जा रही है जो अक्सर लोग कर देते हैं। जानिए उन पांच गलतियों में बारें में विस्तार में-
- ब्याज की हुई आमदनी को छिपाना-हम अपने भविष्य की जरूरतों को देखते हुए कई जगहनिवेश करते हैं, जिन पर हमें ब्याज मिलता है। लेकिन आपको पता होना चाहिए कि फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट से मिलने वाले ब्याज की राशि कर योग्य होती है। आमतौर पर टैक्सपेयर 10 हजार रुपए से कम की वार्षिक आय को छुपा लेते हैं। सेक्शन 80टीटीए के तहत 10,000 रुपए से कम की ब्याज राशि पर जो टैक्स छूट मिलती है, वह केवल सेविंग्स एकाउंट पर मिलने वाले ब्याज के लिए होती है। लेकिन आपको बता दें कि टैक्स छूट के बावजूद इस राशि को दिखाने के बाद क्लेम की मांग की जाती है। कई लोग यह भी सोचते हैं कि टीडीएस कटने के बाद टैक्स जमा करने की कोई जरूरत नहीं होती है। बैंक की ओर से काटे जाने वाला टीडीएस 10 फीसदी की दर से होता है, व्यक्ति का टैक्स स्लैब अलग हो सकता है। इस स्थिति में रिटर्न फाइल करते समय टैक्सपेयर को ज्यादा टैक्स का भुगतान करना होता है। ऐसे में लोगों के पास टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से नोटिस भी आ सकता है जिसके बाद बचा हुआ शेष टैक्स, उसपर ब्याज और पेनल्टी भी जमा करानी होगी। आपकी ओर से जमा कराए गए रिटर्न को फॉर्म 26एएस से मिलाकर टैक्स डिपार्टमेंट ऐसी गलती को पकड़ सकता है।
- संयुक्त आमदनी भी होती है टैक्सेबल-हम सिर्फ अपने नाम पर ही नहीं बल्कि अपने परिवार जैसे पत्नी और बच्चों के नाम पर भी निवेश करते हैं। लेकिन याद रहे कि आप अपनी पत्नी को कितनी भी राशि दे सकते हैं, लेकिन अगर गिफ्ट की गई रकम को निवेश करते हैं तो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 64 के तहत वह कर योग्य आय मानी जाती है। नाबालिग बच्चों की स्थिति में उसकी मदनी माता पिता की आय के साथ जोड़ी जाती है।
- इनकम टैक्स रिटर्न फाइल न करना-अधिकांश लोग इनकम टैक्स यह सोचकर फाइल नहीं करते कि उनपर किसी भी तरह की कोई देनदारी नहीं है। ऐसा सोचना गलत है। रिटर्न फाइल न करने की स्वतंत्रता केवल उन लोगों को हैं जिनकी ग्रॉस इनकम बेसिक एग्जेंप्शन से कम है। 60 वर्ष की आयु से कम लोगों के लिए यह लिमिट 2.5 लाख रुपए है, 60 वर्ष से अधिक और 80 वर्ष से कम के लोगों के लिए 3 लाख रुपए है और 80 या उससे अधिक की उम्र के लोगों के लिए पांच लाख रुपए है। इससे ज्यादा इनकम होने पर रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है। रिटर्न न फाइल करने की स्थिति में असेसिंग ऑफिसर सेक्शन 271F के तहत पांच हजार रुपए का जुर्माना लगा सकता है।
- पिछली नौकरी की आय को छिपाना-अपनी पिछली नौकरी की आमदनी या फिर फ्रिलांसिंग से हुई आय को स्पष्ट करना होता है। अपने नियोक्ता से नौकरी बदने की बाच को छुपाने से शायद टैक्स तो कम कट सकता है, लेकिन रिटर्न फाइल करते समय आपकी यह बात सामने आ जाएगी। इस स्थिति में अधिक टैक्ट का भुगतान करना होगा साथ जो बेनिफिट्स मिले हैं वे वापस ले लिए जाएंगे। इस बात तो छुपाना नहीं चाहिए क्योंकि डिफॉल्टर्स को ब्याज और जुर्माने के साथ पूरे टैक्स जमा कराना पड़ता है।
- टैक्स फ्री आय को न दिखाना-आप को बता दें कि पब्लिक प्रोविडेंट फंड, टैक्स फ्री बॉण्ड, स्टॉक्स से होने वाला कैपिटल गेन या रिश्तेदरों से मिले गिफ्ट पर मिलने वाला ब्याज आपकी आमदनी में जोड़ा जाता है। फिर चाहे इस पर टैक्स न लगे। इस पर टैक्स न देने की स्थिति में भी इनकम टैक्स रिटर्न में पूरी आमदनी के बारे में बताना अनिवार्य है। इसके बाद अन्य सेक्शन के तहत छूट क्लेम की जा सकती है।