नई दिल्ली। रियल एस्टेट सर्वे कंपनी प्रॉपटाइगर की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में 77,000 करोड़ रुपए से अधिक के अनसोल्ड हाउसिंग स्टॉक पड़ा हुआ है, रियल एस्टेट डेवलपर्स ने इस बचे स्टॉक की वजह मंदी को बताया है। एलारा टेक्नोलॉजीज के स्वामित्व वाली रियल एस्टेट सलाहकार पोर्टल के पास उपलब्ध संख्या के अनुसार, नोएडा और गुरुग्राम के मार्केट में 2019 के अंत तक एक लाख से अधिक अनसोल्ड यूनिट्स का स्टॉक था
रिपोर्ट बताती है कि दोनों मार्केट में बिक्री अक्टूबर-दिसंबर 2019 की अवधि के दौरान कम ब्याज दर व उच्च कर कटौती और रेडी-टू-मूव-इन घरों की उपलब्धता के बावजूद घट गई। वहीं नोएडा में साल-दर-साल तीसरी तिमाही के दौरान आवास की बिक्री में 38 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि गुरुग्राम में बिक्री संख्या 6 प्रतिशत गिर गई। नए लॉन्च के संदर्भ में गुरुग्राम में 74 प्रतिशत की साल दर साल गिरावट देखी गई, जबकि एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में नोएडा में 61 प्रतिशत की कमी देखी गई।
हाउसिंग डॉटकॉम, मकान डॉटकॉम और प्रॉपटाइगर डॉटकॉम के ग्रुप सीईओ ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि परियोजना में देरी, बड़े डेवलपर्स के दिवालिया होने के संकेत और एनबीएफसी के मुद्दे और अन्य कुछ कारणों से एनसीआर रियल एस्टेट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हम मार्केट के प्रति नकारात्मक खरीदार भावना को बदलने की उम्मीद करते हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली, जेपी और यूनिटेक मामलों में निर्णायक फैसले पारित किए हैं। इसके साथ-साथ किफायती आवास को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा दिए गए विभिन्न टैक्स के लाभ हमें यह विश्वास करने का कारण भी देते हैं कि मध्यम अवधि में वसूली में कमी हो सकती है।
रिपोर्ट से पता चलता है, भारत के नौ प्रमुख आवासीय बाजारों के बीच नोएडा में 52 महीनों की सबसे अधिक इन्वेंट्री बची है। इसका तात्पर्य है कि इस मार्केट में रियल एस्टेट डेवलपर्स को मौजूदा बिक्री की रफ़्तार को ध्यान में रखते हुए मौजूदा स्टॉक को बेचने में चार साल चार महीने लगेंगे। वहीं 25 महीने के इन्वेंट्री के साथ, गुरुग्राम में बिल्डरों को अपने अनसोल्ड स्टॉक को बेचने में भी लंबा समय लगेगा।
कुल बिक्री और नए लॉन्च में अफोर्डेबल घरों की हिस्सेदारी में गुरुग्राम में वृद्धि देखी जा रही है, जो परंपरागत रूप से एक बड़ा बाजार रहा है। दिसंबर के अंत में मिलेनियम सिटी में बेचे गए 74 प्रतिशत घरों में 45 लाख रुपए तक की यूनिट्स थीं, जिसमें कुल लॉन्च का 79 प्रतिशत यूनिट्स ऐसी थीं, जिनकी कीमत 25 लाख रुपए तक थी।
नोएडा में तीसरी तिमाही में सभी नए लॉन्च 1 करोड़ से ऊपर की कीमत वाले घर थे। इस तिमाही के दौरान बिकने वाली लगभग 15 प्रतिशत यूनिट्स की कीमत भी 1 करोड़ रुपए से ऊपर थी। हालांकि, कुल बिक्री में किफायती घरों का योगदान लगभग 53 प्रतिशत था।