नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) पर गठित एक मंत्रिस्तरीय समिति पेट्रोलियम पदार्थों को एकल राष्ट्रीय कर दर के तहत लाने पर विचार करेगी। इस मामले से जुड़े एक सूत्र के हवाले से मिंट ने यह खबर प्रकाशित की है। सरकार इसके जरिये उपभोक्ता मूल्य और सरकार के राजस्व में एक संभावित बड़ा बदलाव लाने की कोशिश कर रही है। इससे पहले देश के प्रमुख औद्योगिक संगठन भी पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग उठा चुके हैं।
पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि तेल की कीमतों में मौजूदा वृद्धि ने समस्या पैदा की है क्योंकि इसका अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ने की आशंका है। सरकार के लिए गैस, पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। तेल के दामों में वृद्धि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी और केंद्र तथा राज्य सरकारों दोनों द्वारा लगाए गए उच्च घरेलू कर ढांचे का नतीजा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली समिति शुक्रवार 17 सितंबर को लखनऊ में आयोजित होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श करेगी। सूत्र ने बताया कि भारतीय अदालत द्वारा इस मुद्दे पर विचार करने का निर्देश देने के बाद आगामी बैठक के एजेंडे में इस प्रस्ताव को शामिल किया गया है।
जीएसटी प्रणाली में कोई भी बदलाव करने के लिए समिति के एक तीन चौथाई सदस्यों की मंजूरी आवश्यक होती है। इस समिति में सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री सदस्य के रूप में शामिल हैं। इनमें से कुछ वित्त मंत्री पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के खिलाफ हैं, क्योंकि केंद्र व राज्य सरकारों के लिए यह एक प्रमुख राजस्व स्रोत है।
ई्रंधन पर एक समान कर लगाने से पेट्रोल-डीजल की कीमतों को नरम बनाने में मदद मिलेगी, जिनकी कीमत हाल ही में केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा उच्च कर लगाने की वजह से अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमत में इन करों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक 17 सितंबर को लखनऊ में होगी। इस बैठक में अन्य चीजों के अलावा कोविड-19 से संबंधित आवश्यक सामान पर रियायती दरों की समीक्षा हो सकती है। जीएसटी परिषद की इससे पिछली बैठक 12 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई थी। इसमें कोविड-19 से संबंधित सामग्री पर कर की दरों को 30 सितंबर तक के लिए घटाया गया था। कोविड-19 की दवाओं रेमडेसिवीर तथ टोसिलिजुमैब के अलावा मेडिकल ऑक्सीजन और ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती की गई थी। परिषद की 17 सितंबर को होने वाली बैठक में राज्यों को राजस्व नुकसान पर मुआवजे, कोविड-19 से जुड़े सामान पर दरों और कुछ वस्तुओं पर उलट शुल्क ढांचे पर विचार किया जा सकता है।
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