नई दिल्ली: निवेश के दौरान म्यूचुअल फंड की NAV कम होना किसी निवेशक के लिए कितना बड़ा पैमाना होना चाहिए? यह एक ऐसा सवाल है, जो तमाम निवेशकों के मन में म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय आता है। निवेशकों के बीच एक यह भ्रम भी अक्सर देखने को मिलता है कि कम NAV वाले म्यूचुअल फंड ज्यादा अच्छे होते हैं। कंपनियां इस बात को समझती हैं और तमाम फंड्स के विज्ञापन “फंड की NAV मात्र 10 रुपए” जैसी चीजों पर केंद्रित होते हैं।
ऐसा क्यों होता है?
ज्यादातर निवेशक म्यूचुअल फंड की NAV को शेयर बाजार में लिस्टेड किसी कंपनी के शेयर की तरह ही समझते हैं। मसलन, जैसे किसी X कंपनी का शेयर मान लीजिए10 रुपए है और किसी म्यूचुअल फंड की NAV भी 10 रुपए है तो अक्सर निवेशक मूल्य के आधार पर दोनों को एक ही मान लेते हैं। जबकि प्रत्यक्ष रूप से एक जैसे लगने पर भी इनमें बड़ा अंतर है। किसी शेयर का 10 रुपए होने के अलग कारण होंगे। 10 रुपए के स्तर पर भी कंपनी का शेयर खरीदारी के लिए सही है या नहीं यह महज उस कंपनी की स्थिति पर निर्भर करेगा। जबकि म्यूचुअल फंड की स्थिति में यह वैल्यू एक यूनिट की है, जिसमें उन तमाम कंपनियों का अंश होगा जो उस फंड का हिस्सा हैं।
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निवेश के समय फंड की NAV देखना कितना अहम
किसी फंड की NAV कम है या ज्यादा इस बात से निवेश पर मिलने वाले रिटर्न पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसे ऐसे समझिए, अगर आपने दो अलग-अलग म्यूचुअल फंड में 5000 रुपए निवेश किए हैं। एक म्यूचुअल फंड की NAV 10 रुपए है, जबकि दूसरे म्यूचुअल फंड की NAV 50 रुपए है। 5000 रुपए निवेश करने पर निवेशक को पहले फंड में 500 यूनिट्स मिलेंगी, जबकि दूसरे फंड में निवेशक को केवल 100 यूनिट्स ही मिलेंगी। फंड के 10 फीसदी रिटर्न देने पर पहले फंड की एनएवी 11 रुपए हो जाएगी, जबकि उसके सापेक्ष दूसरे फंड की एनएवी 55 रुपए हो जाएगी। निवेशक की ओर से किए गए कुल निवेश पर दोनो ही फंड्स में उसको समान रिटर्न मिलेगा। NAV कम ज्यादा होने पर यूनिट्स की संख्या तो घटेगी बढ़ेगी लेकिन कुल रिटर्न पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
लाभांश में भी लागू होगा यह नियम
म्यूचुअल फंड पर लाभांश मिलने की स्थिति में भी निवेशक को उसके खाते में उपलब्ध कुल यूनिट के हिसाब से ही लाभांश मिलेगा। रिटर्न की तरह लाभांश का भी यूनिट की NAV से कोई सीधा संबंध नही है।
NAV के आधार पर निवेश की गई रकम के हिसाब से आपको फंड की यूनिट्स का आवंटन होगा और यूनिट्स की संख्या के आधार पर ही निवेशक को लाभांश मिलेगा।
म्यूचुअल फंड में निवेश के समय रखें फंड के प्रदर्शन का ख्याल
निवेशकों को म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय NAV के कम ज्यादा होने से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। बल्कि फंड का प्रदर्शन रिटर्न देने के मामले में कैसा रहा है पूरा ध्यान इस तरफ होना चाहिए। वित्तिय सलाहकार से राय लेकर ऐसे फंड्स में निवेश करना चाहिए जो आने वाले दिनों में शेयर बाजार की चाल के अनुरूप अच्छे रिटर्न देने में सक्षम हो।
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