नई दिल्ली। ट्रेन से सफर के दौरान रेल यात्रियों का सबसे बड़ा सरदर्द सामान की देखभाल का होता है। ज्यादा सामान की वजह से कई बार लोगों की ट्रेन छूट जाती है तो कई बार ट्रेन पकड़ने के चक्कर में कोई सामान छूट जाता है। इसके साथ ही घर से स्टेशन तक सामान ले जाना या फिर स्टेशन से घर तक सामान पहुंचाना भी अलग समस्या है। अगर परिवार साथ हो तो ये टेंशन और बढ़ जाती है। हालांकि रेलवे अब आपकी ये टेंशन सुलझाने जा रही है। रेलवे के द्वारा शुरू की गई सेवा से आपकी ये समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
क्या है ये सेवा
रेलवे ने एक खास सेवा बैग्स ऑन व्हील्स की शुरुआत की है। सेवा के जरिए नाम मात्र के शुल्क पर रेलयात्रियों को सामान की डोर-टू-डोर सेवा फर्म द्वारा उपलब्ध करायी जायेगी और यात्री के घर से उसका सामान रेलगाड़ी में उसके कोच तक अथवा उसके कोच से उसके घर तक सुगमता से पहुंचाया जायेगा। यह सेवा रेलयात्रियों विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग जनों और अकेले यात्रा कर रही महिला यात्रियों के लिए बहुत ही लाभदायक साबित होगी।
क्या है इस सेवा की खासियत
इस सेवा की खास खूबी यह है कि सामान की सुपुर्दगी रेलगाड़ी के प्रस्थान से पहले सुनिश्चित की जायेगी। इसके फलस्वरूप यात्री कोच तक सामान लाने या ले जाने की परेशानी से मुक्त हो एक अलग ही प्रकार की यात्रा का अनुभव करेंगें।
कैसे काम करेगी ये सेवा
बीओडब्ल्यू (bow) ऐप (एंड्रॉयड और आई फोन उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध) के द्वारा रेलयात्री अपने सामान को अपने घर से रेलवे स्टेशन तक लाने अथवा रेलवे स्टेशन से घर तक पहुंचाने के लिए आवेदन करेंगे। जरूरी जानकारी भरने और स्वीकृति मिलने के बाद यात्री का सामान सुरक्षित तरीके से लेकर रेलयात्री के बुकिंग विवरण के अनुसार उसके कोच या घर तक पहुंचाने का कार्य ठेकेदार द्वारा किया जायेगा।
कहां मिलेगी ये सुविधा
शुरूआत में यह सेवा नई दिल्ली, दिल्ली हजरत निजामुद्दीन, दिल्ली छावनी, दिल्ली सराय रोहिला, गाजियाबाद और गुडगांव रेलवे स्टेशनों से चढ़ने वाले रेलयात्रियों के लिए उपलब्ध होगी।
सेवा से रेलवे को होगा क्या फायदा
उत्तर एवं उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने बताया कि "रेलवे नित नए उपायों से राजस्व को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। इसी दिशा में कार्य करते हुए दिल्ली मंडल ने हाल ही में गैर-किराया-राजस्व अर्जन योजना (एनआईएनएफआरआईएस) के अंतर्गत ऐप आधारित बैग्स ऑन व्हील्स सेवा के लिए ठेका प्रदान करके मील का पत्थर स्थापित किया है। भारत रेलवे के यात्रियों के लिए यह अपनी तरह की पहली सेवा होगी।" इस सेवा से न केवल यात्री लाभान्वित होंगे बल्कि रेलवे को भी सालाना 50 लाख रुपये के गैर किराया राजस्व की प्राप्ति के साथ ही साथ में एक वर्ष की अवधि के लिए 10 फीसदी की हिस्सेदारी भी प्राप्त होगी।