नई दिल्ली। निजी क्षेत्र के आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों के मद्देनजर ग्रामीण इलाकों में लोगों को सुरक्षा के साथ आजीविका प्रदान करने के लिए गांव-गांव मास्क मुहिम की शुरुआत की है। बैंक ने एक विज्ञप्ति में इसकी जानकारी दी। बैंक ने बताया कि इस मुहिम के तहत मध्यप्रदेश और राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में बैंक की करीब 283 महिला ग्राहकों के साथ साझेदारी की गई है, जिन्हें कॉटन मास्क बनाने का काम सौंपा गया है।
बैंक इन मास्कों को ग्रामीण लोगों के बीच वितरित करता है। बैंक ने कहा कि मौजूदा समय में पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। इसकी वजह से लाखों लोगों के सामने रोजगार का संकट भी पैदा हो गया है। खासतौर से ग्रामीण इलाकों में, जहां लोग सबसे मुश्किल भरे दौर से गुजर रहे हैं। एक तरफ सुरक्षा सबसे बड़ा सवाल है तो दूसरी तरफ काम न होने के कारण भुखमरी वाली स्थिति भी। ऐसे में आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने ग्रामीण इलाकों में मौजूद अपने ग्राहकों को आजीविका प्रदान करने के लिए इस मुहिम की शुरुआत की है।
बैंक ने कहा कि इसके तहत अभी तक कुल दो लाख दो हजार मास्क तैयार किए गए हैं। बैंक दो गैर सरकारी संगठन एंड पॉवर्टी और वृत्ति के साथ मिलकर राजस्थान के बोराज, रेनवाल और मध्य प्रदेश के पिपरिया, बनखेड़ी में यह अभियान चला रहा है। बैंक की प्रमुख कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) रचना अय्यर ने कहा कि कोरोना के कारण ग्रामीण इलाकों में लोगों के आय के स्त्रोतों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। ऐसे में बैंक न सिर्फ अपने ग्राहकों की मदद कर रहा है, बल्कि उनको अपना माध्यम बनाकर दूसरे लोगों की भलाई के लिए भी अग्रसर है। ऐसे में हम लगातार अपने ग्रामीण बाजारों में मौजूद ग्राहकों एवं आम लोगों को आजीविका के मौके दे रहे हैं।
इसके अलावा बैंक का श्वेतधारा कार्यक्रम भी जारी है, जिसके तहत मध्यप्रदेश और राजस्थान के ग्रामीण परिवार डेयरी फार्मिंग से जुड़ी ट्रेनिंग भी ले रहे हैं। ग्राम सखी एवं बैंक ग्राहकों को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा गया है।