नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने कई लोगों को स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक तौर पर भी मुश्किल में डाल दिया है। बाजार में डिमांड की कमी के चलते लोगों की नौकरी चली गई है, सैलरी काट दी गई है बिजनेस में घाटे का सामना करना पड़ा है या कारोबार को पूरी तरह से बंद करना पड़ गया है। ऐसे में जब रोजमर्रा के खर्चों की बात आती है तो सबसे ज्यादा मुश्किल होती है। इसलिए ये बहुत जरूरी है कि हमारे पास पहले से भविष्य में होने वाले किसी भी तरह की अनहोनी के लिए वित्तीय सुरक्षा मौजूद हो। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए इमरजेंसी फंड का होना बहुत जरूरी होता है। हम जो आज बचाते हैं वहीं कल जरूरत पड़ने पर खर्च कर सकते हैं। आखिर क्यों होता है इमरजेंसी फंड का होना इतना जरूरी और कैसे बना सकते हैं हम इमरजेंसी फंड? इन सभी बातों की जानकारी के लिए इमरजेंसी फंड पर पढ़िए हमारी ये खास रिपोर्ट।
हमारे लिए इमरजेंसी फंड उतना ही जरूरी होता है जितना कि भविष्य के लिए किया गया निवेश। ये बात अलग है कि हम लोग निवेश अक्सर लंबी अवधि के लिए करते हैं और भविष्य के लिए तय किए गए लक्ष्य के लिए करते हैं। लेकिन इमरजेंसी कभी भी किसी को बता कर नहीं आती इसलिए इमरजेंसी के लिए कम से कम 4 से 6 महिने की इनकम को बचाना जरूरी होता है।
1..सबसे पहले एक बजट तैयार करें:
हर महीने की शुरूआत में एक बजट तैयार करें। अपने बजट में रोज के खर्च, दी जा रही EMI, घर का किराये के साथ बाकी अन्य खर्च का लिस्ट बना लें। उसके बाद बची हुई रकम से एक तय रकम को हर महिने किसी रेकरिंग डिपॉजिट, छोटी अवधि के बैंक एफडी या लिक्विड म्यूचुअल फंड में निवेश करना शुरू करें। आपको अगर इन सबकी जानकारी नहीं है तो अपने इनकम और खर्च के हिसाब से एक तय रकम को बैंक बचत खाते में भी जमा कर सकते हैं। पूरे अनुशासन का पालन कर तय रकम को जमा करना ही मुख्य रूप से इमरजेंसी के वक्त काम आएगा।
2. कितना फंड जमा करना चाहिए?
हालांकि, निवेशकों का मानना है कि अपनी सैलरी का 10 से 20 फीसदी तक आपको इमरजेंसी के लिए बचाना चाहिए। यानी की अगर आपको अपनी सैलरी से एक साल में 1 लाख या 2 लाख रुपये जमा करना है तो बेस्ट है कि आप 15:15:70 का फॉर्मूला अपनाएं। हमेशा 15 फीसदी रकम अपने घर में कैश के तौर पर रखें, 15 फीसदी बैंक के बचत खाते में और बाकी के 70 फीसदी रकम को आप लिक्विड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। ताकि जब भी जरुरत पड़े तो आसानी से जमा किए गए रकम को तुरंत निकाला जा सके।
3.हमेशा निवेश के लक्ष्य को समझें:
इमरजेंसी फंड को जमा करने के कई उद्देश्य हो सकते हैं। बिना वजह अपने क्रेडिट कार्ड से जरुरत पड़ने पर खर्च या शॉपिंग न करें। हमेशा कोशिश करें कि कैश में ज्यादा से ज्यादा रकम का इस्तेमाल करें। वरना आप इमरजेंसी फंड के वजह से कर्ज में डूब सकते हैं। इमरजेंसी में क्रेडिट कार्ड या लोन का प्रयोग करना सही नहीं है।साथ ही इसका असर आपके सिबिल स्कोर पर भी पड़ सकता है। जिससे बाद में होम लोन जैसी सुविधा का फायदा आप खराब सिबिल होने के वजह से नहीं उठा पाएंगे। अनुशासन के साथ इमरजेंसी फंड में निवेश करना फायदेमंद है।
कुछ खास बातों का रखें ध्यान:
मेडिकल इमरजेंसी, घर रिपेयर, कार रिपेयर, घर खरीदने या किसी भी तरह की जरूरत के लिए दोस्त से, परिवार वालों से या बैंक से लोन लेने से कहीं बेहतर है कि आप हर महिने एक नियम से इमरजेंसी फंड जमा करें। ओवरनाइट फंड्स में भी निवेश सलाहकार से जानकारी लेकर निवेश किया जा सकता है। यूटीआई, एचडीएफसी, एसबीआई के ओवरनाइट फंड में निवेश किया जा सकता है।
अगर आपकी नौकरी जाती भी है तो कम से कम आपके फास 6 महीने तक की सैलरी इमरजेंसी फंड के तौर पर जमा होनी चाहिए। हमेशा ऐसी ही जगह रकम को जमा करें जहां से जरूरत पड़ने पर 24 से 48 घंटे के अंदर पैसे निकालें जा सकते हैं। हमेशा कोशिश करें कि इमरजेंसी फंड के लिए अलग से बैंक खाता खोलें ताकि रकम जमा करके उसे भूलें ना कि उसे कभी भी खर्च करने के लिए इस्तेमाल करें। अगर आपको निवेश की कोई भी जानकारी नहीं है तो बेहतर है कि आप किसी निवेश सलाहकार की सलाह लें या फिर अपने बैंक के बचत खाते में पैसे जमा करें।
यह भी पढ़ें : अपनी पुरानी कार देकर घर लाएं नई कार, जानिए नई स्क्रैपिंग पॉलिसी में आपको कितना होगा फायदा
यह भी पढ़ें घर बैठे पढ़ाई होगी और भी आसान, छात्रों के लिए खास 3 सस्ते टैबलेट लॉन्च