नई दिल्ली। खर्च के जरिए इनकम टैक्स सेविंग के पहले हिस्से में हमने कुछ उपाय बताए थे। उसी कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे खर्च के बारे में बताने जा रहे हैं जो इनकम टैक्स सेविंग में मददगार हैं। ऐसे खर्च आप जाने-अनजाने करते भी हैं। अगर आपने खर्च के जरिए टैक्स सेविंग का पहला हिस्सा नहीं पढ़ा है तो नीचे लिखे लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।
सिर्फ बचत ही नहीं खर्च करके भी बचा सकते हैं इनकम टैक्स, ये हैं रास्ते
होम लोन के मूलधन का भुगतान
- होम लोन के मूलधन के भुगतान पर आप जितनी राशि खर्च करते हैं वह आपकी कुल आय में कटौती के योग्य होता है।
- आयकर में कटौती यानि डिडक्शन का यह लाभ धारा 80सी के तहत मिलता है।
- और आपको एक बार फिर बता दें कि धारा 80सी के तहत आने वाले कुल विकल्पों में निवेश कर कटौती का लाभ लेने की अधिकतम सीमा डेढ़ लाख रुपए है।
- होम लोन के मूलधन के रीपेमेंट पर इनकम टैक्स में कटौता का लाभ पाने की कुछ शर्तें हैं।
- पहला, जिस घर के होम लोन का आप रीपेमेंट कर रहे हैं, उसमें आप रह रहे हों।
- इसका लाभ वैसे घरों के लिए नहीं मिलता जिसका पजेशन न मिला हो।
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होम लोन के ब्याज का भुगतान
- अगर आप घर की खरीदारी या मौजूदा प्रॉपर्टी की मरम्मत के लिए लोन लेते हैं तो उसके ब्याज के रीपेमेंट पर आपको आयकर अधिनियम की धारा 24(बी) के तहत इनकम टैक्स में कटौती का लाभ मिलता है।
- 24(बी) का लाभ आपको रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल दोनों तरह की प्रॉपर्टी पर मिलता है।
- गौर करने वाली बात यह है कि इस मद में हुए खर्च पर इनकम टैक्स में कटौती का लाभ आप तभी ले सकते हैं जब प्रॉपर्टी का निर्माण पूरा हो चुका हो और उसका पजेशन सर्टिफिकेट जारी हो चुका हो।
- सेल्फ ऑक्यूपायड प्रॉपर्टी के मामले में आप अधिकतम 2 लाख रुपए तक की कटौती का दावा कर सकते हैं।
- अगर आपके पास एक से अधिक प्रॉपर्टी है तो एक को सेल्फ ऑक्यूपायड चुनें।
- दूसरे को किराए पर समझा जाएगा। दूसरे घर के मामले में आप होम लोन के ब्याज के पूरे भुगतान का दावा आयकर में कटौती के लिए कर सकते हैं।
- हालांकि, इस साल पेश हुए बजट के अनुसार, पहली और दूसरी प्रॉपर्टी के होम लोन के ब्याज पर कटौती की अधिकतम सीमा 2 लाख रुपए निर्धारित कर दी गई है।
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जीवन बीमा के प्रीमियम का भुगतान
- पहली नजर में आप सोच रहे होंगे कि जीवन बीमा तो निवेश का विकल्प है फिर इसे खर्च की श्रेणी में क्यों डाला गया।
- इसका जवाब बड़ा साधारण सा है। बीमा और निवेश को मिश्रित करने की सलाह कभी नहीं दी जाती।
- बीमा का इस्तेमाल सिर्फ बीमा के लिए किया जाना चाहिए। निवेश के विकल्पों की कमी नहीं है।
- बीमा में निवेश से प्राप्त होने वाला रिटर्न इंवेस्टमेंट के किसी दूसरे विकल्प की तुलना में कम ही होता है।
- बहरहाल, विशुद्ध बीमा यानि टर्म इंश्योरेंस के प्रीमियम पर आप जो खर्च करते हैं उसपर भी आपको धारा 80सी के तहत कटौती का लाभ मिलता है।
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दिव्यांगता के मामले में हुए मेडिकल पर आयकर में कटौती का लाभ
- आयकर अधिनियम की धारा 80डीडी के तहत दिव्यांग व्यक्ति या आर्थिक रूप से निर्भर दिव्यांग व्यक्ति के इलाज पर होने वाले खर्च की कटौती का दावा धारा 80डीडी के तहत किया जा सकता है।
- सिर्फ निवासी भारतीय ही इस धारा के तहत दावा कर सकते हैं।
- आइए जानते हैं 80डीडी के तहत किन बीमारियों के इलाज के खर्च को कवर किया जाता है।
- गंभीर मानसिक रोग
- नजर कमजोर होना
- अंधापन
- कुष्ठ (ठीक भी हो गया हो)
- सुनने की अक्षमता
- लोकोमोटर अटैक्सिया
- मानसिक बीमारियां
- सेरीब्रल पाल्जी
- कई तरह की दिव्यांगता
- ऑटिज्म
अगर उपरोक्त दिव्यांगता 40 फीसदी से अधिक है तभी धारा 80डीडी के तहत इनके इलाज के खर्च का दावा किया जा सकता है। गंभीर दिव्यांगता 80फीसदी से अधिक मामले में मानी जाती है।
धारा 80डीडी के तहत इतना मिलता है कटौती का लाभ
- आयकर अधिनियम की धारा 80डीडी के तहत 40 फीसदी से 80 फीसदी तक दिव्यांगता वाले व्यक्ति के इलाज के लिए सालाना 50,000 रुपए की कटौती का लाभ मिलता था जिसे 2016 में बढ़ा कर 75,000 रुपए कर दिया गया।
- 60 फीसदी से अधिक दिव्यांगता वाले व्यक्ति के मामले में कटौती राशि 2016 से 1.25 लाख रुपए है।
- कटौती के लिए अधिकृत डॉक्टर से दिव्यांगता का प्रमाणपत्र लेना जरूरी होता है।
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