नई दिल्ली। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने देश भर में सभी वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) के लिए एक समान प्रारूप बनाने के लिए अधिसूचना जारी की है और इसके साथ ही पीयूसी डेटाबेस को राष्ट्रीय पंजीयक के साथ जोड़ा जाएगा। सड़क मंत्रालय द्वारा केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 में बदलाव के बाद पीयूसी फॉर्म पर क्यूआर कोड छपा होगा, और इसमें वाहन, उसके मालिक और उत्सर्जन की स्थिति का विवरण होगा। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के तहत देश भर में जारी किए जाने वाले पीयूसी प्रमाणपत्र के सामान्य प्रारूप के लिए 14 जून, 2021 को अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना के मुताबिक देश भर में एक समान पीयूसी प्रारूप की शुरुआत की जाएगी। बयान में कहा गया है कि नए पीयूसी में वाहन मालिक का मोबाइल नंबर, नाम और पता के साथ इंजन नंबर और चैसिस नंबर दर्ज होगा।
वाहन मालिक के मोबाइल नंबर का उल्लेख अनिवार्य बनाया जाएगा ताकि एक वैधता और शुल्क के लिए उस नंबर पर एसएमएस भेजा जा सके। बयान में कहा गया है कि पहली बार देश में रिजेक्शन स्लिप को शुरू किया जाएगा। इस रिजेक्शन स्लिप का फॉर्मेट पूरे देश में एक समान होगा। यदि वाहन उत्सर्जन मानकों पर खरा नहीं उतरा है, तो उसे यह अस्वीकृति पर्ची दी जाएगी। बयान में कहा गया कि इस पर्ची का इस्तेमाल वाहन की सर्विस कराने के लिए या किसी दूसरे केंद्र पर जांच कराने के लिए किया जा सकता है।
बयान के मुताबिक संबंधित अधिकारी यह मानता है कि मोटर वाहन उत्सर्जन मानकों के प्रावधानों का अनुपालन नहीं कर रहा है तो वह लिखित या इलेक्ट्रॉनिक माध्मय से संबंधित वाहन मालिक को इसकी जानकारी देगा और उसे अधिकृत पीयूसी टेस्टिंग स्टेशन में वाहन की जांच कराने के लिए कहेगा। यदि वाहन मालिक ऐसा कराने में असफल रहता है या वाहन उत्सर्जन मानकों के अनुरूप नहीं पाया जाता है तो वाहन मालिक को जुर्माना देना होगा।
सड़कों पर दौड़ रहे हैं चार करोड़ पुराने वाहन, हरित कर लगाने की तैयारी
देश की सड़कों पर अभी 15 साल से अधिक पुराने चार करोड़ वाहन दौड़ रहे हैं। ये वाहन हरित कर के दायरे में आते हैं। पुराने वाहनों के मामले में कर्नाटक शीर्ष पर है। कर्नाटक की सड़कों पर ऐसे 70 लाख वाहन दौड़ रहे हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देशभर में ऐसे वाहनों के आंकड़ों को डिजिटल किया है। हालांकि, इनमें आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और लक्षद्वीप शामिल नहीं हैं। इन राज्यों के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे वाहनों पर हरित कर लगाने का प्रस्ताव राज्यों को पहले ही भेजा जा चुका है।
आंकड़ों के अनुसार, चार करोड़ से अधिक वाहन 15 साल से ज्यादा पुराने हैं। इनमें से दो करोड़ वाहन तो 20 साल से अधिक पुराने हैं। मंत्रालय ने कहा कि वाहनों का डिजिटल रिकॉर्ड केंद्रीयकृत वाहन डाटाबेस पर आधारित है। इसमें आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और लक्षद्वीप शामिल नहीं हैं। पुराने प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की दृष्टि से उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में ऐसे वाहनों की संख्या 56.54 लाख है, जिनमें से 24.55 लाख वाहन 20 साल से अधिक पुराने हैं। राजधानी दिल्ली 49.93 लाख वाहनों के साथ तीसरे स्थान पर है। दिल्ली में 35.11 लाख वाहन 20 साल से अधिक पुराने हैं। केरल में ऐसे वाहनों की संख्या 34.64 लाख, तमिलनाडु में 33.43 लाख, पंजाब में 25.38 लाख और पश्चिम बंगाल में 22.69 लाख है। महाराष्ट्र, ओडिशा, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा में ऐसे वाहनों की संख्या 17.58 लाख से 12.29 लाख के बीच है। वहीं झारखंड, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी, असम, बिहार, गोवा, त्रिपुरा और संघ शासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव में ऐसे वाहनों की संख्या एक लाख से 5.44 लाख के बीच है। आंकड़ों के अनुसार, शेष राज्यों में ऐसे वाहनों की संख्या एक लाख से कम है।
सरकार पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण पर अंकुश के लिए ऐसे पुराने वाहनों पर जल्द हरित कर लगाने की तैयारी कर रही है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस साल जनवरी में प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों पर हरित कर लगाने का प्रस्ताव किया था। इस प्रस्ताव को राज्यों के पास विचार-विमर्श के लिए भेज दिया गया है। उसके बाद इसे औपचारिक रूप से अधिसूचित किया जाएगा। फिलहाल कुछ राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा भिन्न दरों के आधार पर हरित कर लगाया जा रहा है। प्रस्ताव के तहत आठ साल से अधिक पुराने वाहनों पर फिटनेस प्रमाणन के नवीकरण के समय पथकर के 10 से 25 प्रतिशत के बराबर कर लगाया जाएगा। व्यक्तिगत वाहनों पर 15 साल बाद नवीकरण के समय कर लगाने का प्रस्ताव है। बेहद प्रदूषित शहरों में पंजीकृत वाहनों पर ऊंचा यानी पथकर के 50 प्रतिशत के बराबर कर लगाने का प्रस्ताव है।
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