नई दिल्ली। 2022 तक सोलर रूफटॉप प्रोजेक्ट्स के जरिये 40 गीगावाट बिजली पैदा करने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र सरकार एक नई पॉलिसी रेंट ए रूफ पर काम कर रही है। न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय के सचिव आनंद कुमार ने अपने पहले साक्षात्कार में बताया कि सरकार अगले दो सालों में 24.5 गीगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा परियोजनाओं के भी टेंडर जारी करने की योजना बना रही है। आनंद कुमार ने कहा कि हम रेंट ए रूफ पॉलिसी पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि निवेशक भारत के बड़े मैदानी और ग्रिड से जुड़े सोलर पार्क विकसित करने में तो अपनी रुचि दिखा रहे हैं लेकिन सोलर रूफटॉप बाजार अभी तक ज्यादा आकर्षक नहीं बन पाया है। इसलिए अब हम एक नई पॉलिसी रेंट ए रूफ पर काम कर रहे हैं, जहां डेवलपर घरों और इमारतों की छतों को किराये पर ले सकेंगे और प्रत्येक घर/इमारत मालिक को किराये का भुगतान करेंगे। यहां पैदो होने वाली बिजली को डेवलपर ग्रिड को भेजेंगे।
भारत ने 2022 तक 175 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इसमें 100 गीगावाट ऊर्जा सोलर प्रोजेक्ट्स से हासिल की जाएगी, जहां 60 गीगावाट ऊर्जा मैदानी और ग्रिड कनेक्टेड प्रोजेक्ट्स से जबकि 40 गीगावाट सोलर रूफटॉप प्रोजेक्ट्स से हासिल की जानी है। पवन ऊर्जा परियोजनाओं से 60 गीगावाट का लक्ष्य है।
यह नई पॉलिसी भारत के नवनिर्मित नेट-मीटरिंग बाजार की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर लाई जा रही है। नेट-मीटरिंग सिस्टम में, उपभोक्ता को उसके सोलर रूफटॉप पैनल से उत्पन्न कुल बिजली, जो कि ग्रिड को आपूर्ति की जाती है, में से उसके द्वारा उपयोग की गई बिजली को घटाने के बाद शेष बची बिजली के लिए भुगतान किया जाता है।
भारत के पास 750 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की क्षमता है। औसत 4-7 किलोवाट प्रति घंटा प्रति वर्ग मीटर की सोलर रेडिएशन रेंज के साथ यहां साल में 300 सनी डे होते हैं, जो कि एक रिकॉर्ड है। रेंट ए रूफ पॉलिसी के तहत कोई भी छत को किराये पर ले सकता है। अभी नेट मीटरिंग हो रही है लेकिन व्यक्तिगत परिवार को इसे स्वयं के खर्चे पर वहन करना होता है। लेकिन इस नई पॉलिसी के बाद रखरखाव सहित सभी तरह की जिम्मेदारी डेवलपर की होगी। सरकार इस तरह की पॉलिसी पर काम कर रही है।