नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मॉडल टेनेंसी एक्ट या आदर्श किरायेदारी कानून के मसौदे को मंजूरी दे दी है, जिसे अब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा जायेगा। राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस एक्ट के अनुसार कानून लागू करेंगे। नये एक्ट में मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच भरोसा बढाने और इससे जुड़ी आशंकाओं को खत्म करने के लिए कई अधिकार दिये गये हैं। जानिये क्या हैं ये अधिकार
क्या हैं किरायेदार के अधिकार
- मकान मालिक किराये पर घर देने के बाद रिपेयर, घर के मुआयने या किसी अन्य वजह से अपने मनमर्जी के हिसाब से घर आ जा नहीं सकेंगे। उन्हें किरायेदार को कम से कम 24 घंटे पहले लिखित रूप में अपनी विजिट की जानकारी देनी होगी।
- अगर किरायेदार वक्त पर किराया दे रहा है, या घर का सही तरीके से इस्तेमाल कर रहा है तो मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट में लिखे गये तय वक्त से पहले किरायेदार को घर से बाहर नहीं निकाल सकता है।
- मनमाने सिक्योरिटी डिपॉजिट पर लगाम लगाने के लिए इसकी सीमा तय कर दी गयी है, और आवास के लिये ये अधिकतम 2 महीने के किराये और गैर-आवासीय भवन के लिये ये अधिकतम 6 महीने के किराये के बराबर हो सकता है। फिलहाल देश के कई हिस्सों में डिपॉजिट इससे कहीं ज्यादा लिया जा रहा है।
- घर खाली करने से पहले किरायेदार को नोटिस भेजा जाना जरूरी होगा।
मकान मालिक के लिये अधिकार
- मकान मालिक की घर कब्जाने की आशंका को दूर करते हुए उसे अधिकार दिया गया है कि वो 2 महीने तक किराया अदा न करने की स्थिति में घर को खाली करा सकता है।
- अगर मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट की सभी शर्तों को पूरी करता है, लेकिन तय सीमा के बाद भी किराये दार मकान खाली नहीं करता तो मकान मालिक किराये को दो गुना कर सकता है। अगर दो महीने बाद भी किरायेदार मकान खाली नहीं करता तो वो किराये को 4 गुना कर सकता है।
- घर के किराये पर उठाये जाने की अवधि के दौरान घर के देखभाल की पूरी जिम्मेदारी किरायेदार पर होगी।
विवाद की स्थिति में कहा होगा निपटारा
- नये कानूनों के तहत एक रेंट अथॉरिटी बनायी जायेगी जो किराये के मकान से जुड़े सभी मामलों पर नजर रखेगी।
- मकान मालिक और किरायेदार को रेंट एग्रीमेंट होने के 2 महीने के अंदर अथॉरिटी को इसकी जानकारी देनी होगी।
- विवाद होने की स्थिति में कोई एक पक्ष या दोनो पक्ष रेंट अथॉरिटी पहुंच सकते हैं।