GOLD Hallmarking: कई बार डैड लाइन बढ़ने के बाद आखिरकार आज से देश भर में गोल्ड हॉलमार्किंग का नियम लागू हो गया है। पहल यह नियम 1 जून से लागू होने वाला था, जिसे बढ़ाकर 15 जून कर दिया गया। आज से ज्वैलर्स सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट के सोने के आभूषण बेच सकेंगे। सभी आभूषणों पर BIS हॉलमार्क होना जरूरी है। बता दें कि BIS अप्रैल 2000 से सोने के आभूषणों के लिए हॉलमार्किंग योजना पर काम कर रहा है। आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में लगभग 40 प्रतिशत सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग की जा रही है।
अधिसूचना के अनुसार बाजार में केवल पंजीकृत आभूषण विक्रेताओं को ही बिक्री की अनुमति प्रमाणित बिक्री दुकानों के माध्यम से हॉलमार्क वाले सोने की वस्तुएं बेचने की अनुमति होगी। पहले के दस ग्रेड के बजाये, पंजीकृत आभूषण विक्रेताओं को केवल सोने के तीन ग्रेड- 14,18 और 22 कैरेट में आभूषण और कलाकृतियां बेचने की अनुमति होगी। निर्यात के लिए सोने के लिए अनिवार्य हॉलमार्किंग आवश्यक नहीं है। यह सोने के किसी ऐसे सामान पर लागू नहीं होगा, जिसका उपयोग चिकित्सा, दंत चिकित्सा, पशु चिकित्सा, वैज्ञानिक या औद्योगिक उद्देश्यों, सोने के धागे वाले सामान के लिए किया जाता है।
बता दें कि देश में हॉलमार्किंग के नियम 1 जून से लागू होने वाले थे, लेकिन सरकार ने कोरोना संक्रमण के मद्देनजर उसे 15 जून तक के लिए टालने का निर्णय किया था। दरअसल कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स और ज्वेलरी इंडस्ट्री ने सरकार ने इस डेडलाइन को बढ़ाने की मांग की थी।
क्या बेकार हो जाएगा घर पर पड़ा सोना
हॉलमार्किंग के अनिवार्य होने के बाद क्या घर पर पड़ा सोना बरबाद हो जाएगा? ऐसे ही सवाल से लोग घर में रखे सोने को लेकर चिंतित हो उठे हैं। आपको बता दें कि सोने की हॉलमार्किंग का घर में रखे सोने पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। ग्राहक कभी भी चाहे पुरानी ज्वेलरी बेच सकेंगे। क्योंकि हॉलमार्किंग का नियम सुनार के लिए जरूरी है। वह अब बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेच सकेगा।
क्या होगा हॉलमार्किंग में
हॉलमार्क वाले सोने के गहनों में चार प्रमुख चीजें होंगी: इसमें बीआईएस चिन्ह होगा; कैरेट की विशुद्धता; आकलनकर्ता एवं हॉलमार्किंग केन्द्रों का पहचान चिह्न या संख्या के अलावा आभूषण विक्रेता का पहचान चिह्न या उनका पहचान नंबर।