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- टैक्स कानून के तहत आप 31 मार्च तक रिटर्न फाइल कर सकते हैं। इसके लिए 5 अगस्त से हर महीने लेट पेमेंट के रूप में 1 फीसदी की दर से ब्याज लगाया जाएगा।
- आखिरी तारिख पर रिटर्न फाइल करने से चूंकने के बाद बेहतर है कि बैंक ट्रांजेक्शन, अन्य रिकॉर्ड और 26एएस स्टेटमेंट को इनकम टैक्स वेबसाइट पर से जांच लें, ताकि टैक्स गणना के समय किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े।
- फॉर्म 26एएस में आपकी आय में होने वाली टैक्स कटौती, एडवांस टैक्स भुगतान, सेल्फ एसेस्मेंट टैक्स पेमेंट, टैक्सपेयर (पैन धारक) की ओर से जमा कराए गए टैक्स, वित्त वर्ष शेयर, म्यूचुअल फंड आदि के रुप में मिले गए रिफंड आदि की जानकारी जुटाकर जल्द से 31 मार्च 2017 से पहले रिटर्न फाइल जरूर कर दें।
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- आखिरी तारीख से चूंकने का मतलब यह होता है कि टैक्सपेयर कैपिटल मार्केट में हुए नुकसान को कैरी फॉर्वर्ड नहीं कर सकता। हालांकि हाउस प्रॉपर्टी में हुए नुकसान को कैरी फॉर्वर्ड किया जा सकता है।
- साथ ही अगर टैक्सपेयर 31 मार्च, 2017 की अंतिम तारीख से भी चूक जाता है तो उसे 5000 रुपए का जुर्माना देना पड़ता है।
करदाताओं को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि इनकम टैक्स विभाग और कर निर्धारण प्राधिकारी किसी भी व्यक्ति की ट्रांजेक्शन डीटेल्स सेविंग एकाउंट में जमा कैश (10 लाख रुपए से ऊपर), चल अचल संपत्ति की खरीदारी या सेल (30 लाख रुपए से ऊपर), 2 लाख रुपए से ज्यादा की क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान आदि के आधार पर नॉन फाइलिंग ऑफ रिटर्न का नोटिस भेजा जा सकता है।
अगर आपकी ओर से दिया जाने वाला रिफंड कुल देनदारी का 10 फीसदी से ज्यादा है तो आपको 1 अप्रैल से 0.5 फीसदी की दर से ब्याज देना होगा। यदि आप 5 अगस्त के बाद रिटर्न फाइल करते हैं, तो आपको 1 अप्रैल से लेकर रिटर्न फाइल करने की तारीख तक का ब्याज नहीं मिलेगा। इसके अलावा फॉर्म में किसी भी तरह की गलती करने पर आप रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने का अधिकार खो देते हैं। इसलिए रिटर्न फाईल करते समय सभी लेनदेन से जुड़ी जानकारी ध्यान से भरें।