नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) त्योहारी सीजन से पहले करोड़ों लोगों के चेहरों पर खुशी लाने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। ईपीएफओ वित्त वर्ष 2021-22 के लिए देय ब्याज का भुगतान दिवाली से पहले सदस्यों के खातों में कर सकता है। अंग्रेजी अखबार मिंट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दो सरकारी अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि यह पहली बार होगा जब सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बढ़े हुए महंगाई भत्ते और महंगाई राहत के भुगतान के साथ ही ईपीएफओ के सदस्यों को भी पैसा मिलेगा। इस कदम से करोड़ों नौकरीपेशा वर्ग को खुशी मिल सकती है, जो कोविड की वजह से महीनों रोजगार और आय से वंचित रहा है।
ईपीएफओ के केंद्रीय बोर्ड ने ब्याज दर को अपनी मंजूरी दे दी है। अब संगठन ने वित्त मंत्रालय से मंजूरी मांगी है और ऐसी उम्मीद की जा रही है कि मंत्रालय भी जल्द ही अपनी मंजूरी दे देगा। एक अधिकारी ने बताया कि संगठन ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 8.5 प्रतिशत ब्याज दर के साथ ब्याज का भुगतान करने के लिए वित्त मंत्रालय से मंजूरी मांगी है। जब ब्याज पर निर्णय लिया गया तब सभी कारकों पर विचार किया गया और ईपीएफओ 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करने में सक्षम है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय से मंजूरी लेना केवल एक प्रोटोकॉल का हिस्सा है, ईपीएफओ मंत्रालय की मंजूरी के बिना ब्याज का भुगतान नहीं कर सकता। ईपीएफओ को उम्मीद है कि उसके बोर्ड के निर्णय और उसकी मजबूत वित्तीय हालत को देखते हुए वित्त मंत्रालय भी अपनी मंजूरी शीघ्र दे देगा। ईपीएफओ के केंद्रीय बोर्ड ने इस साल मार्च में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 8.5 प्रतिशत ब्याज दर की सिफारिश की थी। पूर्व वित्त वर्ष में ईपीएफओ को 70,300 करोड़ रुपये की आय हुई, जिसमें अपने इक्विटी निवेश का एक हिस्सा बेचने से प्राप्त 4000 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
रिटायरमेंट फंड बॉडी ने अपनी केंद्रीय बोर्ड बैठक के बाद कहा था कि डेट इनवेस्टमेंट से प्राप्त ब्याज और इक्विटी इनवेस्टमेंट से प्राप्त आय के मिश्रित परिणाम के आधर पर ब्याज दर की सिफारिश की गई है। यह ईपीएफओ को अपने सदस्यों को उच्च रिटर्न देने में सक्षम बनाता है और इसके पास एक अच्छा सरप्लस बना रहेगा।
पीएफ पर मिलने वाला 8.5 प्रतिशत ब्याज अन्य प्रोविडेंट फंड जैसे जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) और बचत योजनाओं जैसे पब्लिक प्रोविडेंट फंड (7.1 प्रतिशत) और नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (6.8 प्रतिशत) की तुलना में ज्यादा है। महामारी के दौरान लाखों लोगों ने ईपीएफओ से धन की निकासी की है। लेकिन अंतिम गणना बताता है कि इस धन निकासी से ईपीएफओ की आय पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है।
एक अधिकारी ने कहा कि पिछले डेढ़ साल कामकाजी वर्ग के लिए बहुत मुश्किल भरा रहा है। हमारा मानना है कि ईपीएफ ब्याज दर हर महीने उनकी सैलरी से होने वाली अनिवार्य कटौती पर एक रिटर्न है और इसका भुगतान दिवाली से पहले होने पर जरूर उन्हें खुशी मिलेगी। ईपीएफओ के सक्रिय सदस्यों की संख्या 6 करोड़ से अधिक है और हर साल यह अपनी वार्षिक संपत्ति का 15 प्रतिशत इक्विटी में निवेश करता है और शेष डेट इंस्ट्रूमेंट में डालता है।
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