नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द ही वित्त वर्ष 2018-19 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर 8.65 प्रतिशत ब्याज देने की अधिसूचना जारी कर सकती है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 8.65 प्रतिशत ब्याज देने का प्रस्ताव किया था लेकिन श्रम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच इस दर को लेकर मतभेद था, जिसे अब सुलझा लिया गया है।
इस मामले से जुड़े दो लोगों ने बताया कि श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मुलाकात की और उन्हें बताया कि 4.6 करोड़ सदस्यों को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 8.65 प्रतिशत दर से ब्याज का भुगतान करने के बाद भी संगठन के पास पर्याप्त शेष राशि बची रहेगी।
21 अगस्त को हैदराबार में संपन्न हुई केंद्रीय बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ब्याज दर को एक हफ्ते के भीतर अधिसूचित कर दिया जाएगा। हालांकि अधिकारी ने कहा कि ब्याज दर के मुद्दे को एजेंडे में शामिल नहीं किया गया था लेकिन इस पर अनाधिकृत रूप से चर्चा की गई।
ईपीएफ पर ब्याज दर का निर्धारण सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी द्वारा किया जाता है, वित्त मंत्रालय से मंजूरी लेने के बाद इसे श्रम मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया जाता है। 19 फरवरी को सीबीटी की बैठक में, ट्रस्टियों ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 8.65 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करने का फैसला किया था लेकिन वित्त मंत्रालय चाहता था कि ईपीएफओ इस ब्याज दर में कम से कम 10 आधार अंकों की कटौती करे। वित्त मंत्रालय की आपत्ति की वजह से सरकार ब्याज दर को अधिसूचित नहीं कर सकी है। इसमें हुई देरी की वजह से सदस्यों के खाते में ब्याज जमा करने में इस बार 5 महीने की देरी हो चुकी है।
वित्त वर्ष 2017-18 में ईपीएफ पर 8.55 प्रतिशत का ब्याज दिया गया था। जून में वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय को पत्र लिखकर 8.65 प्रतिशत ब्याज दर पर दोबारा विचार करने के लिए कहा था। वित्त मंत्रालय ने इसके पीछे दो तर्क दिए थे, पहला ईपीएफओ ने संकटग्रस्त आईएलएंडएफएस ग्रुप कंपनियों में निवेश किया है और दूसरा पूर्व वर्ष की तुलना में कम सरप्लस का बचना। हालांकि श्रम मंत्राल ने वित्त मंत्रालय के इन तर्कों को बेबुनियाद बताया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में 8.65 प्रतिशत की दर से ब्याज देने के बाद भी ईपीएफओ के पास 3,150 करोड़ रुपए का सरप्लस शेष बचेगा।