नई दिल्ली। जनवरी के दूसरे हफ्ते से जारी पेट्रोल डीजल की कीमतों मे राहत आगे भी जारी रह सकती है। बाजार के जानकारों की माने तो ऐसे कई फैक्टर हैं जिनकी वजह से पहली तिमाही के दौरान कच्चे तेल कीमतों में दबाव बना रह सकता है। अगर कीमतें घटती हैं तो इसका फायदा पेट्रोल डीजल कीमतों के साथ साथ पूरी अर्थव्यवस्था को मिल सकता है।
क्रूड में जारी रह सकती है गिरावट
केडिया एडवायजरी के एमडी अजय केडिया के मुताबिक फिलहाल दुनिया के लिए सबसे बड़ी चिंता कोरोना वायरस को लेकर है। दुनिया भर में वायरस के असर को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। ऐसे में ये अनुमान लगाना मुश्किल है कि चीन में उद्योग की रफ्तार पटरी पर कब आएगी दूसरी तरफ अमेरिका में क्रूड की इन्वेंटरी में लगातार बढ़त दर्ज हो रही है। कच्चे तेल के लिए स्थिति इतनी कमजोर है कि कीमतों को स्थिर रखने के लिए तेल उत्पादक देश उत्पादन में कटौती जून तक रखने पर सहमत हो गए हैं। अजय केडिया के मुताबिक अगर हालात में सुधार नहीं होता तो ब्रेंट क्रूड 50 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक गिर सकता है। यानि मौजूदा स्तरों से इसमें 8 फीसदी तक और गिरावट संभव है। अगर स्थितियों में सुधार हुआ तो मार्च के बाद कीमतो में स्थिरता संभव है।
एक महीने में 15% टूटा तेल
जानकारों की आशंका तेल की कीमतों में मौजूदा गिरावट की वजह से भी है। ब्रेंट क्रूड 55 डॉलर प्रति बैरल से नीचे कारोबार कर रहा है। एक महीन पहले ही कीमतें 65 डॉलर के स्तर पर थीं। यानि एक महीने के दौरान ब्रेंट की कीमत 15 फीसदी से ज्यादा टूट चुकी हैं। वहीं डब्लूटीआई क्रूड साल भर की पूरी बढ़त गंवा कर 50 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया है।
घरेलू अर्थव्यवस्था को फायदा
भारत अपनी जरूरतों का अधिकांश कच्चा तेल आयात करता है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत को अपना घाटा कम करने में मदद मिलेगी। वहीं पेट्रोल डीजल कीमतों में गिरावट से महंगाई पर लगाम लगेगी। घाटे में कमी से सरकार को और महंगाई में कमी से रिजर्व बैंक को अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए कदम उठाने के मौके मिलेंगे।