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छत पर आसानी से लग जाएगा सोलर पैनल
- इंडियागोसोलरडॉटइन के सीईओ हरीश आहूजा ने हाल में एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि ज्यादातर राज्यों में मकान की छतों को लेकर अलग-अलग कानून।
- ऐसे में उन बंगला मालिकों के बीच यह ट्रेंड जोर पकड़ रहा है जिनके प्लॉट पर पर्याप्त खाली जगह है।
- रेजिडेंशल बिल्डिंग्स में भी सोलर मॉड्यूल लगाने के विकल्प पर चर्चा हो रही है, जिनसे सीढ़ियों पर लगी बत्तियों और पानी के पंप के लिए बिजली मिल सकेगी।
- आहूजा का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सोलर इंस्टॉलेशन के बारे में जानकारी देता है और सर्विस प्रोवाइडर चुनने में मदद करता है।
अहूजा बताते है कि जमीन या छत पर लगभग 210 वर्ग फुट का ओपन एरिया एक किलोवॉट बिजली पैदा करने के लिए जरूरी है। चाहे बंगला हो या चार मंजिला रेजिडेंशल बिल्डिंग, कन्ज्यूमर्स तीन किलोवॉट का ऑप्शन ज्यादा चुन रहे हैं। इससे बिल्डिंग के अंदर और बाहर, दोनों जगह कॉमन स्पेस और पानी के पंप के लिए बिजली दी जा सकती है।
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क्या है नया मॉडल
- यह मॉडल रिन्यूएबल एनर्जी सर्विस कंपनी मॉडल यानी रेस्को नाम से मशहूर है।
- सोलर पैनल लगाने वाली कंपनी बिल्डिंग मालिकों से कम-से-कम 25 साल के लिए अग्रीमेंट कर रही है।
- इसके हिसाब से अग्रीमेंट पीरियड तक बिजली कमोबेश फिक्स्ड कॉस्ट पर बेची जा सकेगी।
- एक्सपर्ट्स बताते है कि डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की तरफ से सप्लाई की जा रही बिजली की कीमत बढ़ती जाएगी और इसकी इनपुट कॉस्ट भी बढ़ेगी, लेकिन सोलर पावर की कीमत एकसमान ही रहेगी जिससे यूटिलिटी टैरिफ बढ़ने पर समय के साथ अडिशनल सेविंग्स होती रहेगी।
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खर्च में होगी कटौती
- एक्सपर्ट्स की मानें तो, जहां तक कंपनियों की बात है तो इस मॉडल से उनको ज्यादा बचत होगी।
- उनको बिजली पर खर्च में 35 फीसदी तक बचत हो सकती है।
- छत पर सोलर पैनल लगाने से टॉप फ्लोर के टेंपरेचर में 2 से 3 डिग्री तक की कमी आती है क्योंकि पैनल लगे होने से धूप सीधे नहीं आती।
सोलर इंस्टॉलेशन की रफ्तार उम्मीद जितनी नहीं है।
- इसकी एक वजह कन्ज्यूमर्स में जानकारी का अभाव है। इसको देखते हुए आहूजा ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू किया है जो लोगों को 42 मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों, 20 इंजिनियरिंग-प्रोक्योरमेंट-कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) कंपनियों और 10 फाइनैंशल कंसल्टेंट्स में से चुनने का विकल्प देता है।
- यह खरीदारों को जरूरी टेक्निकल और कमर्शल जानकारी मुहैया करता है और उनको अपनी जरूरत के हिसाब से सोलर प्रॉजेक्ट और सर्विसेज चुनने में मदद करता है।
आहूजा ने कहा, सोलर पैनल इंस्टॉल करने वाली सर्विस कंपनी बैंकों से फंड जुटाती है। आमतौर पर एक किलोवॉट का रूफटॉप प्रॉजेक्ट लगाने पर 75,000 रुपए तक का खर्च आता है। ऑपरेटर्स को इन्वेस्टमेंट पर आसानी से लगभग 15 फीसदी रिटर्न मिल जाता है।