नई दिल्ली। कपड़े धोने में इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट का भारतीय ब्रांड निरमा कई विदेशी ब्रांड्स को कड़ी टक्कर दे रहा है। आप भी डिटर्जेंट पाउडर का इस तरह का ब्रांड तैयार कर सकते हैं और इसमें बहुत बड़ी लागत की जरूरत भी नहीं है। डिटर्जेंट पाउडर बनाने और उसकी पैकिंग में तो ज्यादा खर्च नहीं है लेकिन उसकी ब्रांडिंग के लिए आपको मेहनत करनी पड़ेगी साथ में क्वॉलिटी से भी किसी तरह का समझौता नहीं करना होगा।
मशीन, जगह और कामगारों की जरूरत
मान लिया जाए कि सालभर में आपको 500 टन डिटर्जेंट का उत्पादन करना है तो इसके लिए आपको लगभग 5000 वर्ग फुट जगह चाहिए होगी। जहां मशीन लगेंगी और साथ में कामगार काम करेंगे। प्लांट के लिए मशीनों की लागत लगभग 15 लाख रुपए बैठती है साथ में फर्नीचर की लागत करीब 2 लाख रुपए बैठेगी। इसके ऊपर काम के लिए करीब 9 लोगों की जरूरत होगी, जिसमें 1 सुपरवाइजर, 2 स्किल्ड मजदूर और 6 अन्य मजदूर होंगे। कामगारों की सालभर में कुल लागत करीब 20 लाख रुपए रह सकती है। कुल मिलाकर मशीनों और कामगारों पर सालभर में आपका 37-38 लाख रुपए खर्च आएगा, जिसमें से 75 फीसदी सरकार की तरफ से लोन के तौर पर भी मिल सकता है।
कच्चे माल की लागत
डिटर्जेंट पाउडर में 60-65 फीसदी मात्रा सोडा एस की होती है, यह आसानी से 20-24 रुपए प्रति किलो की दर पर मार्केट में उपलब्ध है, हालांकि 500 टन के लिए करीब 60-65 लाख रुपए के सोडा एस की जरूरत होगी, लेकिन यह पूरा एक साथ नहीं खरीदना है। इसके अलावा स्टार्च, पैराफिन वैक्स, ग्लॉबर सॉल्ट, रंग और खुशबू के लिए परफ्यूम की जरूरत होगी। कुल मिलाकर पूरे कच्चे माल की लागत प्रति किलो 35 रुपए से ऊपर नहीं बैठेगी।
सालभर में कितना खर्चा और कितनी कमाई?
छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने वाली सरकारी संस्था नेशनल स्माल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन एच पी कुमार की किताब स्टार्टअप इंडिया के मुताबिक सालाना 500 टन डिटर्जेंट पाउडर तैयार करने का प्लांट लगाने, उसमें कच्चे माल की सप्लाई करने, डिटर्जेंट की ब्रांडिंग और सेल करने के लिए सालभर में करीब 1.07 करोड़ रुपए की लागत बैठेगी और सालभर का मुनाफा करीब 1.25 करोड़ रुपए होगा। यानि करीब 18 लाख रुपए का शुद्ध लाभ होगा। पहले साल के बाद बिल्डिंग, मशीनों और बाकी इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत भी नहीं होगी और दूसरे साल से कमाई में इजाफा भी होने लगेगा।
इसी तरह बना था निरमा पाउडर का भी ब्रांड
निरमा डिटर्जेंट पाउडर का ब्रांड भी इसी तरह से तैयार हुआ था। 1969 में कर्सनभाई पटेल ने इसकी शुरुआत की थी। वह गुजरात सरकार में माइनिंग एवं जियोलोजी विभाग में कैमिस्ट के पद पर काम करते थे। उन्होंने फार्मूला तैयार कर निरमा बनाया और खुद अपनी साइकिल से लोगों के घर-घर जाकर उसकी बिक्री करते थे। रोजाना वह अपने घर पर निरमा के 15-20 पैकेट तैयार करते और घर से ऑफिस जाते समय उसे लोगों के घरों पर बेचते, अगले 15-20 सालों के दौरान ही कर्सनभाई पटेल का निरमा ब्रांड हिंदुस्तान यूनिलिवर के सर्फ और दूसरी कंपनियों के महंगे ब्रांड्स को टक्कर देने लगा था।