क्या बीमारी के इलाज के लिए भी आयकर की छूट मिलती है ?
आप अपने परिवार लिए जो हैल्थ इंश्योरेंस लेते हैं, उसकी प्रीमियम राशि पर 80 डी के तहत छूट हासिल कर सकते हैं। कानून के मुताबिक इंश्योरेंस प्रीमियम की पूरी रकम पर टैक्स छूट मिल सकती है। इसके अलावा यदि करदाता अपने माता पिता के इलाज पर खर्च करता है तो इलाज के लिए 80डी के तहत छूट क्लेम कर सकते हैं। इसमें अधिकतम 30,000 रु की छूट मिल सकती है। सेक्शन 80डी में छूट की शर्ते यह है कि मां की उम्र 80 साल से ज्यादा हो और उनका कोई मेडिकल इंश्योरेंस ना हों। वहीं सेक्शन 80डीडीबी में भी आश्रित संबंधी के इलाज पर छूट का प्रावधान है। इसमें खास बीमारियों के इलाज पर छूट मिलती है। ये छूट अधिकतम 80,000 रु तक की मिलती है। मां का रिटर्न भरने के लिए करदाता को वारिस होने का सबूत देना होगा।
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कौन कौन सी आय टैक्स छूट के दायरे में आती हैं?
5000 रुपये से कम की कृषि आय टैक्स छूट के दायरे में आती है। ग्रैच्युटी से मिली रकम, एचआरए का टैक्स फ्री हिस्सा, पेंशन से मिली रकम, नौकरी जाने पर मिला मुआवजा, बीमा पॉलिसी से मिली रकम, निर्वाह भत्ते के तौर पर मिली एकमुश्त रकम और पीएफ मैच्योरिटी पर मिली रकम भी टैक्स छूट के दायरे में आती है।
क्या शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड की खरीद को भी रिटर्न में बताना होगा ?
शेयर और एसआईपी के जरिए काफी लोग निवेश करते हैं। कैपिटल गेन निकालने के लिए निवेश की लागत जानना जरुरी है। इक्विटी में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15 फीसदी और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स शून्य है। डेट म्युच्युअल फंड में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स लगता है और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स 20 फीसदी(इंडेक्सेशन के बाद) लगता है।
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क्या बीमा कंपनी से प्राप्त राशि पर भी टैक्स देना होता है?
सेक्शन 10(10डी) में नॉन-एक्डेंप्ट बीमा पॉलिसी पर 1 फीसदी टीडीएस की प्रावधान है। आपकी मैच्योरिटी की रकम टैक्सेबल होगी और इसलिए कंपनी ने टीडीएस काटा होगा। बीमा पॉलिसी की रकम आपकी इनकम में जुड़ेगी। अगर 1 से ज्यादा घर नहीं हो तो आईटीआर1 भर सकते हैं। और यदि 1 से ज्यादा घर है तो आईटीआर2 भर सकते हैं।
रिटर्न फॉर्म के प्रकार कितने होते हैं ?
आईटीआर-1 (सहज), आईटीआर-2, आईटीआर-2ए, आईटीआर-3, आईटीआर-4, आईटीआर-4एस (सुगम), आईटीआर-5, आईटीआर-6 और आईटीआर-7 आदि रिटर्न फॉर्म हैं। रिटर्न भरने के लिए जरूरी होता है पैन, फॉर्म 16/16ए, बैंक स्टेटमेंट, एक्जेंप्ट इनकम का ब्यौरा, कैपिटल गेंस का ब्यौरा (अगर हो तो), विदेश में संपत्ति का ब्यौरा (अगर हो तो) और चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा। चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा, 50 लाख रुपये से ज्यादा इनकम वालों के लिए जरूरी होता है।
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ई रिटर्न फाइल करना किनके लिए जरूरी होता है?
अगर रिफंड क्लेम करना हो तो आपके ई-रिटर्न जरूरी है। साथ ही कुल इनकम 5 लाख से ज्यादा है तो आपके ई-रिटर्न भरना जरूरी है। आईटीआर-3, 4, 5, 6 और 7 भरने वालों को ई-रिटर्न जरूरी है। रिटर्न भरने से आप फायदे में ही रहोगे, क्योंकि इससे टीडीएस रिफंड का क्लेम मुमकिन होता है। लोन के लिए इनकम का प्रूफ बन जाता है। लॉस कैरी फॉरवर्ड करने के लिए रिटर्न भरना जरूरी है। साथ ही वीजा अप्लाई करने के लिए भी रिटर्न भरना जरूरी होता है।
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