कोरोना वायरस को सभी हेल्थ इंश्योरेंस में शामिल किया गया है और इसके ईलाज के लिए भुगतान हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी करती है। जिन लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस है, उन्हें कोरोना के इलाज से पहले कुछ बातें जान लेनी चाहिए, नहीं तो उन्हें काफी नुकसान हो सकता है।
अगर आपके पास पहले से ही कोई हेल्थ इंश्योरेंस है तो उसमें कोरोना की बीमारी का इलाज शामिल है। ऐसे में कोरोना के लिए अलग से कोई हेल्थ इंश्योरेंस लेने की जरूरत नहीं है। बीमा नियामक इरडा ने सभी बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे मेडिक्लेम में कोरोना महामारी को भी शामिल करें। इसके बाद सभी कंपनियों ने हेल्थ इंश्योरेंस में इसे शामिल कर लिया है। अगर कोरोना मरीज प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होता है तो उसकी इंश्योरेंस पॉलिसी को देखते हुए उसके कैशलेस इलाज का खर्च बीमा कंपनी उठाएगी। लेकिन उसे उतना ही पैसा मिलेगा, जितना उसकी इंश्योरेंस पॉलिसी के अनुसार तय होगा।
इन परिस्थितियों में कोरोना को कवर नहीं करेगी इंश्योरेंस कंपनी
वेटिंग पीरियड में इलाज: जब भी हेल्थ इंश्योरेंस लिया जाता है तो कंपनी 15 से 30 दिन का वेटिंग पीरियड देती है ताकि इंश्योरेंस लेने वाला शख्स इंश्योरेंस की सभी शर्तों को पढ़ ले। अगर इंश्योरेंस लेने वाले शख्स को कंपनी की शर्तें पसंद नहीं आती हैं तो वह इंश्योरेंस कंपनी को इंश्योरेंस पॉलिसी लौटा सकता है। वेटिंग पीरियड के अंदर कोरोना हो जाए तो उसे इंश्योरेंस का फायदा नहीं मिलेगा।
अस्पताल में कम से कम 24 घंटे भर्ती न रहना: हेल्थ इंश्योरेंस का फायदा उठाने के लिए अस्पताल में कम से कम 24 घंटे भर्ती होना जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया जाए लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के बजाये घर पर इलाज कराता है तो उसे हेल्थ इंश्योरेंस का फायदा नहीं मिलेगा।
नॉन-मेडिकल खर्च: बिल में सबसे ज्यादा खर्चे नॉन-मेडिकल चीजों के होते हैं। ऐसी करीब 200 चीजें हैं जो हेल्थ इंश्योरेंस में शामिल नहीं हैं। इसका पैसा मरीज को देना पड़ता है। इनमें कंघा, बेबी फूड, फुट कवर, टूथपेस्ट, टूथ ब्रश, टीवी चार्ज, इंटरनेट चार्ज आदि शामिल हैं। कोरोना के इलाज के दौरान बिल में पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क, चादर, कंबल आदि भी नॉन-मेडिकल चीजों में शामिल होते हैं और इसका खर्च मरीज को खुद उठाना पड़ता है। हाल में इरडा ने एक बयान जारी कर हेल्थ इंश्योरेंस जारी करने वाली कंपनियों से कहा है कि वे पीपीई किट के खर्चे को भी हेल्थ इंश्योरेंस में शामिल करें।
होम आइसोलेशन में लाभ नहीं
कोरोना का मरीज अगर घर पर इलाज करा रहा है तो उसे हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ नहीं मिलेगा। नियमानुसार हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ उठाने के लिए मरीज को कम से कम 24 घंटे अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है। होम आइसोलेशन में टेस्ट से लेकर दवाई व डॉक्टर की फीस तक का सारा खर्च मरीज को उठाना होगा।
ये खर्च होते हैं शामिल
अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद का खर्च : अगर कोरोना पॉजिटिव किसी शख्स को डॉक्टर अस्पताल में भर्ती होने की सलाह देते हैं तो अस्पताल में भर्ती होने से 30 दिन पहले और डिस्चार्ज होने से 60 दिन बाद तक का इलाज पर होने वाला खर्च इंश्योरेंस कंपनी खुद उठाती है। इस खर्च में सभी प्रकार के टेस्ट, दवाई, डॉक्टर फीस आदि शामिल होते हैं।
इंस्टीट्यूशनल क्वॉरंटीन : अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है और अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद 14 या 21 दिन के लिए होम क्वॉरंटीन की जगह इंस्टीट्यूशनल क्वॉरंटीन सेंटर भेज दिया जाता है तो ऐसे में उसका पूरा खर्च हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी देगी।