नई दिल्ली। काले धन पर अंकुश के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस(सीबीडीटी) ने नए नियम अधिसूचित किए हैं, जिसके तहत 1 अप्रैल से निश्चित राशि से अधिक के लेनेदन की सूचना आयकर विभाग को देना अनिवार्य होगा। नए मानदंड के तहत नकदी प्राप्तियों, शेयरों की खरीद, म्यूचुअल फंड, अचल संपत्ति, मियादी जमा, विदेशी मुद्रा की बिक्री की सूचना तय फॉर्मेट में विभाग को देनी होगी। यह सूचना फार्म 16ए में देनी होगी। अपने रीडर्स को इंडिया टीवी पैसा की टीम बताने जा रही है, उन बड़े लेन-देन के बारे में, जिन पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर होगी।
इन बड़े नियमों में हो रहा है बदलाव
- नए नियमों के तहत यदि कोई व्यक्ति 30 लाख रुपए से अधिक की अचल संपत्ति या प्रॉपर्टी की खरीद बिक्री करता है तो प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार को इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तक पहुंचानी बेहद जरूरी होगी।
- यदि कोई व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में अपने बैंक खाते में 10 लाख या उससे अधिक की राशि जमा करता है, तो इसकी जानकारी संबंधित बैंक को आयकर विभाग तक पहुंचानी होगी। इसके अलावा 10 लाख रुपए की यह सीमा फिक्स डिपॉजिट के लिए भी लागू होगा। करंट अकाउंट के लिए यह लिमिट 50 लाख रुपए की होगी।
- क्रेडिट कार्ड से एक वित्तीय वर्ष के भीतर 1 लाख रुपए या अधिक के कैश पेमेंट या फिर दूसरे माध्यमों से 10 लाख रुपए से ज्यादा खर्च किए जाते हैं। तो क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान को आयकर विभाग तक इसकी जानकारी पहुंचानी होगी। 10 लाख रुपए की यह लिमिट बैंक ड्राफ्ट या आरबीआई के प्रीपेड माध्यमों पर भी लागू होगी।
- इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नए नियमों के अनुसार 1 जनवरी से अनिवार्य किए गए पैन नियमों के तहत जिन लेनदेन में पैन कार्ड का उपयोग किया गया है। डिपार्टमेंट टैक्स रिटर्न के दस्तावेजों से इसका मिलान करेगा।
- यदि कोई व्यक्ति 10 लाख रुपए से अधिक की विदेशी मुद्रा बेचता है, तो इसकी जानकारी भी टैक्स डिपार्टमेंट को देनी होगी। इसके साथ ही विदेशी मुद्रा में डेबिट और क्रेडिट कार्ड से खर्च करने पर भी यही लिमिट लागू होगी।
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- नए कानून के तहत सभी प्रकार की वित्तीय संस्थाओं को सभी प्रकार के हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन की जानकारी टैक्स अथॉरिटी को ऑनलाइन उपलब्ध करानी होगी। इसके लिए डिपार्टमेंट ने नया फॉर्म 61ए जारी किया है।
- सभी संस्थाओं को फॉर्म 61ए को जॉइंट डायरेक्टर ऑफ इनकम टैक्स (इंटैलिजेंस एंड क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन) के पास डिजिटल सिग्नेचर के साथ ऑनलाइन भेजना होगा। प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए इसकी समय सीमा 31 मई होगी।
- फाइनेंशियल इंस्ट्रीट्यूशंस को इन सभी लेन देन की पिछले 6 साल तक की जानकारी अपने पास रखनी होगी। इस दौरान डिपार्टमेंट इन सभी ट्रांजेक्शनंस का कभी भी ऑडिट कर सकता है।
- यदि कोई व्यक्ति 10 लाख रुपए या फिर उससे अधिक के शेयर, बॉण्ड या डिबेचर खरीदता है तो इसे जारी करने वाली संस्था या कंपनी को उस व्यक्ति की जानकारी टैक्स विभाग तक पहुंचानी जरूरी हेागी। म्यूचुअल फंड्स के लिए भी यह लिमिट 10 लाख रुपए की ही होगी।
- सभी वित्तीय संस्थाओं की जिम्मेदारी होगी कि वे फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के लिए प्राप्त सभी पैन कार्ड का अपने स्तर पर वैरिफिकेशन करें। यदि कोई व्यक्ति पैन कार्ड उपलब्ध नहीं करता है तो फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन अन्य पहचान प्रमाणपत्रों के आधार पर संबंधित व्यक्ति से डिक्लियरेशन प्राप्त करे।
ध्यान दें सभी वित्तीय लेन देन के लिए पैन कार्ड होना बेहद अहम हैं। ऑनलाइन पैन कार्ड का आवेदन करना चाहते हैं तो देखिए यह गैलरी
पैन कार्ड के लिए ऐसे करें आवेदन-
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