पिछले 12 महीने का अगर हम डेटा देखें, तो दुनिया के कई शेयर बाजारों ने अपने निवेशकों को मालामाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पिछले 12 महीनों में सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाली ग्लोबल इंडेक्सेस की बात करें, तो सबसे ज्यादा रिटर्न अमेरिका की नैस्डेक ने दिया है। इसने पिछले 12 महीने में 41 फीसदी का शानदार रिटर्न दिया है। जापान की निक्केई 250 ने भी इतना ही यानी 41 फीसदी रिटर्न पिछले 12 महीनों में दिया है। इसके बाद भारत के निफ्टी ने 27 फीसदी का अच्छा-खासा रिटर्न पिछले 12 महीने में दिया है। ताइवान भी पीछे नहीं है। यहां के इंडेक्स ताइवान वेटेड ने पिछले 12 महीने में 26 फीसदी रिटर्न दिया है।
सेंसेक्स ने दिया 23% रिटर्न
बीएसई सेंसेक्स की बात करें, तो इसने पिछले 12 महीने में 23 फीसदी रिटर्न दिया है। अमेरिका के एसएंडपी500 ने पिछले 12 महीने में 19 फीसदी का रिटर्न दिया है। अमेरिका के ही डाउ जॉन्स ने 18 फीसदी रिटर्न दिया है। जर्मनी के डीएएक्स ने पिछले 12 महीने में 15 फीसदी रिटर्न दिया है। इसके अलावा, फ्रांस के सीएसी 40, दक्षिण कोरिया के कोस्पी और इंडोनेशिया के जकार्ता कंपोजिट इन तीनों में से प्रत्येक ने 9 फीसदी रिटर्न दिया है। वहीं, हांककांग के हैंग सैंग में 20 फीसदी, चीन के शंघाई कंपोजिट में 8 फीसदी और सिंगापुर के स्ट्रेटस टाइम्स में 3 फीसदी की गिरावट आई है।
क्या जारी रहेगी तेजी?
महंगाई में आ रही गिरावट को देखते हुए फेड सहित दूसरे केंद्रीय बैंक आने वाले समय में प्रमुख ब्याज दर में कटौती शुरू करेंगे। इससे बाजार में तेजी का दौर जारी रह सकता है। यूएस फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने संकेत दिया है कि जून से रेट कट की शुरुआत हो सकती है। ऐसे में आने वाले दिनों में बाजार में तेजी देखी जा सकती है।
ये फैक्टर्स भी अहम
दूसरा पहलू देखें, तो लंबे समय तक ब्याज दरें उच्च बने रहने के कारण अमेरिका सहित दूसरे बड़े देशों में मंदी आशंका अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। मंदी की आशंका गहराती है, तो शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिलेगी। वहीं, भू-राजनीतिक तनाव शेयर बाजार के लिए अच्छे नहीं होते। यूक्रेन और मिडिल ईस्ट में अभी भी तनाव बना हुआ है। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों का चीन के साथ तनाव है। अमेरिका में इस साल राष्ट्रपति चुनाव भी होने हैं। अगर जियो पॉलिटिककल टेंशन में इजाफा हुआ तो यह शेयर बाजार के लिहाज से सही नहीं होगा।