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Adani Group के सभी शेयर कल उफान पर क्यों थे? पता चल गया

Adani Group: शीर्ष अदालत ने इस साल 2 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। आइए कल शेयर बाजार में अडानी ग्रुप के शेयर में दर्ज उछाल को समझते हैं।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: May 20, 2023 13:05 IST
Adani - India TV Paisa
Photo:FILE Adani

Adani Group News: उच्चतम न्यायालय(Supreme Court) द्वारा अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच के लिए नियुक्त समिति के अध्यक्ष और सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए.एम. सप्रे ने कहा कि सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने जो स्पष्टीकरण दिया है उसके और ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं होगा कि मूल्यों से जुड़े आरोपों में कोई नियामक विफलता रही है। समिति ने कहा कि सेबी ने यह भी पाया है कि कुछ संस्थाओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन से पहले ऊंचे दाम पर शेयरों की बिक्री की थी और रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद कीमत गिरने पर अपनी स्थिति बदलकर (कभी लिवाल कभी बिकवाल बनकर) मुनाफा कमाया है। समिति ने कहा कि सेबी ने बताया कि जब अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) के शेयरों की कीमत बढ़ी तो किसी एक इकाई या संबंधित संस्थाओं के समूह द्वारा मूल्य वृद्धि में सांठगांठ के योगदान का कोई स्पष्ट पैटर्न सामने नहीं आया है। समिति ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सेबी सक्रिय रूप से बाजार में विकास और मूल्यों में उतार-चढ़ाव पर नजर बनाए हुए था।

सेबी को मिले थे चार रिपोर्ट

समिति ने कहा कि नियामक विफलता की पुष्टि करना संभव नहीं होगा। सेबी के पास कीमत और शेयरों की खरीद-बिक्री में बड़े उतार-चढ़ाव की निगरानी के लिए एक सक्रिय और कार्यशील निगरानी ढांचा है। उसने इस तरह की निगरानी से उत्पन्न डेटा पर खुद काम किया है और एक तय बेंचमार्क लागू करते हुए यह पता लगाने की कोशिश की है कि क्या स्वाभाविक मूल्य निर्धारण प्रक्रिया की अखंडता में हेरफेर किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी के शेयरों के मामले में 849 अलर्ट सिस्टम द्वारा जारी किए गए थे और स्टॉक एक्सचेंजों ने उन पर विचार किया था। इसके परिणामस्वरूप चार रिपोर्ट सेबी को सौंपी गई थी- दो हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले और दो 24 जनवरी 2023 के बाद।

इस तरीके से हुई जांच

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी चार रिपोर्टों में स्टॉक एक्सचेंज ने कारकों पर विचार किया और मूल्य वृद्धि के लिए किसी भी मिलावट यानि किसी प्री प्लानिंग तरीकों का कोई सबूत नहीं मिला और ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला जिससे किसी एक इकाई या संबंधित संस्थाओं के समूह को वृद्धि का श्रेय दिया जा सके। समिति ने कहा कि सेबी ने अडाणी इंटरप्राइजेज लिमिटेड का उदाहरण देते हुए किए गए विश्लेषण की व्याख्या की है, ट्रेडिंग डेटा को चार समयावधि में बांटा गया है, जहां शेयर की कीमत में काफी वृद्धि हुई। समिति ने संक्षेप में कहा, एक ही समूह के बीच कई बार कृत्रिम व्यापार या वॉश ट्रेड का कोई पैटर्न नहीं पाया गया। उसने कहा, एक निवेश इकाई जिसने चारों कालखंडों भर में शेयर खरीदा था, उसने दूसरी कंपनियों के शेयर कहीं ज्यादा खरीदे थे। संक्षेप में, गलत तरीके से व्यापार का कोई सुसंगत पैटर्न नहीं मिला है। 

शीर्ष अदालत ने इस साल 2 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इसमें ओ.पी. भट्ट, न्यायमूर्ति जेपी देवधर (सेवानिवृत्त), के.वी. कामथ, नंदन नीलेकणि, और अधिवक्ता सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं।

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