शेयर बाजार (Share Market) में भारी गिरावट का दौर जारी है। बाजार में बड़ी बिकवाली से निवेशक त्राहीमाम कर रहे हैं। निवेशकों को समझ में नहीं आ रहा है कि बाजार कहां पर जा कर सपोर्ट लेगा। निफ्टी ने आज अपना अहम सपोर्ट लेवल 23,300 को भी तोड़ दिया है। मार्केट एक्सपर्ट बाजार में अभी और पेन की बात कर रहे हैं। इसके बाद निवेशकों में और बेचैनी है। ऐसे में अगर आप शेयर और म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं तो आपके मन में भी यह सवाल जरूर होगा कि बाजार कहां तक टूटेगा। आइए आपके सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं।
बाजार में अभी और गिरावट संभव
मार्केट एक्सपर्ट हर्ष रूंगटा ने बताया कि शेयर बाजार में अभी और पेन बाकी है। यानी बाजार में अभी और गिरावट देखने को मिल सकती है। डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद बाजार का रिएक्शन देखना होगा। ट्रंप की नीतियां का बड़ा असर भारतीय बाजार पर देखने को मिलेगा। इसके बाद ही बाजार का डायरेक्शन क्लियर होगा। हां, कितनी गिरावट आएगी, ये कहना अभी मुश्किल है।
सिप रोके नहीं, 2025 में बड़ा रिटर्न नहीं मिलेगा
हर्ष रूंगटा कहते हैं कि लंबे समय के लिए पैसा लगाने वाले निवेशक इस गिरावट में भी अपना सिप नहीं रोके। बाजार अभी उनके लिए मौका लेकर आय है। लंबी अवधि में उनको इसी सिप पर तगड़ा रिटर्न मिलेगा। इसलिए सिप रोकने की बिल्कुल नहीं सोचे। बाजार की गिरावट की चिंता किए बिना लगातार निवेश करते रहें। हां, एक बात और। 2025 में 2022 या 2023 जैसा शानदार रिटर्न की उम्मीद नहीं करें। बाजार इस साल भी मामूली रिटर्न देगा।
कहां तक टूट सकता है शेयर बाजार?
मार्केट एक्सपर्ट कुणाल सरावगी का कहना है कि मार्केट में अभी और करेक्शन देखने को मिल सकते हैं। निफ्टी 22,000-22,200 के लेवल तक जा सकता है। सेंसेक्स भी 1000 के आसपास और टूट सकता है। ऐसा डॉलर के लगातार मजबूत होने से हो रहा है। बाजार में आशंकाएं हैं। ऐसे में वैसे निवेशक जिन्होंने लंबी अवधि के लिए मार्केट में पैसे लगाए हैं, उन्हें इसमें बने रहने की सलाह है। अगर आपने शॉर्ट टर्म के लिए पैसे लगाए हैं तो वेट एंड वॉच की स्ट्रैटेजी लेकर चलें। हालांकि आप मामूली बिकवाली कर दूसरे स्टॉक्स में डाल सकते हैं।
क्यों लगातार गिर रहा है भारतीय शेयर बाजार?
भारतीय शेयर बाजार गिरने की कई वजह है। इनमें विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली, कंपनियों के कमजोर नतीजें, भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती और डॉलर के मुकाबले रुपये का लगातार टूटना शामिल है। सरावगी का कहना है कि डॉलर जबतक कमजोर नहीं होगा, बाजार पर दबाव बना रहेगा। अमेरिका में अगर डोनाल्ड ट्रम्प शपथ लेने के बाद टैरिफ पर बढ़ोतरी का ऐलान करते हैं तो अमेरिका में महंगाई और बढ़ेगी। उसका असर भी बाजार पर दिखेगा। घरेलू शेयर बाजार में देखें तो इस दबाव वाली स्थिति में भी आईटी, फार्मा, होटल्स और एफएमसीजी जैसी कंपनियों की स्थिति बेहतर लग रही है। इसके उलट मेटल, एनबीएफसी, सरकारी बैंक आदि लगातार कमजोर दिख रहे हैं। निवेशकों को फिलहाल इनसे अभी दूरी बनाकर रखनी चाहिए।