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Explainer: जापानी शेयर मार्केट में आई 'तबाही' का भारत में कैसा असर पड़ा, कितना प्रभावित हुए भारतीय बाजार

दुनियाभर के निवेशक पिछले कई सालों से जापान की बेहद कम ब्याज दरों का फायदा उठा रहे हैं। ये फायदा "येन ​​कैरी ट्रेड" नाम की एक रणनीति से उठाया जा रहा था। येन कैरी ट्रेड के तहत निवेशक कम ब्याज दरों पर येन में पैसा उधार लेते हैं और फिर इन पैसों को दूसरे देशों में शेयर या बॉन्ड जैसे हाई रिटर्न वाले ऐसेट्स में इंवेस्ट कर देत

Edited By: Sunil Chaurasia
Updated on: August 14, 2024 12:51 IST
जापानी बाजार में आई गिरावट से कितना प्रभावित हुए भारतीय बाजार- India TV Paisa
Photo:INDIA TV जापानी बाजार में आई गिरावट से कितना प्रभावित हुए भारतीय बाजार

भारतीय बाजार अभी भी बड़ी गिरावट से उबर नहीं पाए हैं, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी रफ्तार से भाग रहा है। भारतीय स्टॉक मार्केट को गिराने में अमेरिका और जापान का अहम रोल रहा है। दरअसल, अमेरिका में मंदी और जापान में येन कैरी ट्रेड से जुड़े नियम में बदलाव ने दुनियाभर के निवेशकों को संकट में डाल दिया। अमेरिका और जापान में जन्मीं चिंताओं के बाद विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से पैसे निकालने का जो सिलसिला शुरू किया, वो अभी भी जारी है। यही वजह है कि भारतीय शेयर बाजार अभी तक पिछले हफ्ते की भारी गिरावट से उबर नहीं पाए हैं। आइए जानते हैं कि जापान के येन कैरी ट्रेड से जुड़े नियमों के बदलाव ने कैसे जापानी बाजार में कोहराम मचा दिया, जिसका असर भारतीय बाजारों पर भी देखने को मिला।

पिछले हफ्ते क्रैश हुए थे दुनियाभर के शेयर बाजार

अमेरिका में मंदी की आशंका के बीच पिछले हफ्ते दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी बिकवाली के दबाव में मार्केट क्रैश हो गए। लेकिन, जापानी शेयर बाजार की गिरावट इतनी बड़ी थी, जिसकी पूरी दुनिया को चौंका दिया। जापान के शेयर बाजार में आई ये गिरावट, 1987 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट के रूप में दर्ज की गई। खास बात ये है कि इस गिरावट में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की चिंताओं के अलावा, एक और बड़ी चिंता थी और ये चिंता येन कैरी ट्रेड से जुड़ी हुई है। यहां हम येन कैरी ट्रेड के साथ-साथ ये भी जानने की कोशिश करेंगे कि क्या जापानी शेयर बाजार का प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ता है?

येन कैरी ट्रेड

दरअसल, दुनियाभर के निवेशक पिछले कई सालों से जापान की बेहद कम ब्याज दरों का फायदा उठा रहे हैं। ये फायदा "येन ​​कैरी ट्रेड" नाम की एक रणनीति से उठाया जा रहा था। येन कैरी ट्रेड के तहत निवेशक कम ब्याज दरों पर येन में पैसा उधार लेते हैं और फिर इन पैसों को दूसरे देशों में शेयर या बॉन्ड जैसे हाई रिटर्न वाले ऐसेट्स में इंवेस्ट कर देते हैं। लेकिन निवेशकों की इस रणनीति को अचानक एक बड़ा झटका लग गया। जापान के केंद्रीय बैंक, बैंक ऑफ जापान ने अपनी ब्याज दरों को, जो लगभग शून्य के बराबर थे, उसे बढ़ाकर 0.25% कर दिया। 

बैंक ऑफ जापान के फैसले का बाजार पर क्या असर पड़ा

बैंक ऑफ जापान के इस फैसले ने शेयर बाजार को बुरी तरह चौंका दिया। ऐसे में जिन निवेशकों ने जापान से उधार पैसे लेकर दूसरी जगहों पर निवेश किया था, उन्हें नुकसान होने लगा। जिसके परिणामस्वरूप निवेशकों ने जापानी ऐसेट्स में निवेश किया हुआ पैसा तेजी से निकालना शुरू कर दिया। नतीजन, पिछले हफ्ते सोमवार को जापान के प्राइमरी शेयर मार्केट बेंचमार्क इंडेक्स Nikkei 225 एक ही दिन में 12% से ज्यादा गिर गया, जो 1987 के ब्लैक मंडे क्रैश के बाद से सबसे बड़ी गिरावट थी। हालांकि, बैंक ऑफ जापान के इस फैसले से जापानी करेंसी येन अचानक काफी ताकतवर हो गई।

एशिया के कई बाजारों ने महसूस किया जापानी मार्केट में आई गिरावट का दर्द

Nikkei 225 इंडेक्स में आई इस गिरावट की वजह से ये अपने टॉप लेवल से करीब 20 प्रतिशत नीचे आ गया। जापानी मार्केट में आई ये 'तबाही' अन्य एशियाई बाजारों को भी अपनी चपेट में ले लिया। दक्षिण कोरिया का Kospi और ताइवान के बाजार करीब 8 प्रतिशत गिर गए। इतना ही नहीं, जापानी बाजार में आई इस गिरावट का असर हांगकांग और चीन तक भी पहुंच गया। लेकिन यहां की गिरावट इतनी ज्यादा चिंताजनक या गंभीर नहीं थी।

भारतीय शेयर बाजार पर कितना पड़ा असर

जापान के शेयर बाजार में आई प्रलय का सीधा असर भारतीय शेयर बाजार में भी देखने को मिला। पिछले हफ्ते सोमवार को सेंसेक्स 2.74% और निफ्टी 50 इंडेक्स 2.68% गिर गए। इस गिरावट से भारतीय शेयरों में निवेश करने वाले निवेशकों को 17 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का नुकसान हुआ। हालांकि, जापानी बाजार में आई गिरावट का जितना असर दक्षिण कोरिया और ताइवान के बाजारों में देखने को मिला था, उसकी तुलना में भारतीय बाजार बच गए। इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि भारतीय शेयर बाजार पुराने समय की तुलना में अब काफी संतुलित नजर आ रहे हैं, जिसने अभी हाल ही में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे और केंद्रीय बजट जैसे बड़े इवेंट का सामना किया है।

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