Sunday, December 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बाजार
  4. आखिर ये OFS होता क्या है और ये IPO से कैसे अलग है

आखिर ये OFS होता क्या है और ये IPO से कैसे अलग है

ओएफएस के तहत लिस्टेड कंपनी शेयरों की बिक्री के लिए एक न्यूनतम कीमत तय करती है, जो आमतौर पर उस शेयर के मौजूदा भाव से कम ही होती है। बिक्री शुरू होने पर खरीदार शेयरों के लिए बोली लगाते हैं, जिसके बाद कंपनी बोलियों की समीक्षा करती है और फिर कंपनी खरीदारों के डीमैट अकाउंट में शेयर क्रेडिट कर देते हैं।

Written By: Sunil Chaurasia
Published : Sep 04, 2024 23:06 IST, Updated : Sep 04, 2024 23:06 IST
ओएफएस में खरीदारों को शेयरों को मौजूदा भाव से कम दाम पर खरीदने का मौका मिलता है
Photo:FREEPIK ओएफएस में खरीदारों को शेयरों को मौजूदा भाव से कम दाम पर खरीदने का मौका मिलता है

अगर आप शेयर मार्केट में लेनदेन करते हैं तो आपने OFS के बारे में जरूर सुना होगा। आमतौर पर OFS की चर्चा दो प्रमुख जगहों पर होती है- एक आईपीओ में और एक किसी लिस्टेड कंपनी द्वारा हिस्सेदारी बेचने के दौरान। लेकिन ये भी देखा गया है कि शेयर बाजार में लेनदेन करने वाले कई लोगों को ओएफएस के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है। यहां हम आपको ओएफएस के बारे में बताएंगे। इसके साथ ही हम आपको ये भी बताएंगे कि ये आईपीओ से कैसे अलग होता है?

ओएफएस क्या है

ओएफएस यानी ऑफर फॉर सेल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए शेयर बेचने का एक तेज, सुरक्षित और सुविधाजनक माध्यम है। शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी पैसों की जरूरत पड़ने पर शेयरों की बिक्री के लिए OFS की मदद ले सकती है। ओएफएस के जरिए तमाम कंपनियां अपनी हिस्सेदारी (शेयर) बेचकर पैसा इकट्ठा करती हैं। ओएफएस में कंपनी के प्रोमोटर सभी खरीदारों जैसे रिटेल इंवेस्टर, कॉर्पोरेशन, क्यूआईबी और एफआईआई को शेयरों के रूप में हिस्सेदारी बेचते हैं।

ओएफएस के तहत लिस्टेड कंपनी शेयरों की बिक्री के लिए एक न्यूनतम कीमत तय करती है, जो आमतौर पर उस शेयर के मौजूदा भाव से कम ही होती है। बिक्री शुरू होने पर खरीदार शेयरों के लिए बोली लगाते हैं, जिसके बाद कंपनी बोलियों की समीक्षा करती है और फिर कंपनी खरीदारों के डीमैट अकाउंट में शेयर क्रेडिट कर देते हैं।

आईपीओ से कैसे अलग है ओएफएस

ओएफएस और आईपीओ में काफी अंतर है। आईपीओ में एक नॉन-लिस्टेड कंपनी शेयर जारी करती है और इसी के तहत कंपनी के प्रोमोटर अपने शेयर ओएफएस के जरिए जारी करते हैं। आईपीओ कम से कम 3 दिन के लिए खुला रहता है और इसमें निवेशकों को तय कीमत पर शेयरों के लिए बोली लगानी होती है। जबकि ओएफएस में पहले से ही लिस्टेड कंपनी शेयर बेचकर पैसा जुटाती है। ओएफएस सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है और इसमें मौजूदा भाव से कम दाम पर शेयर खरीदने का मौका होता है।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Market News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement