नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) ने शुक्रवार को कहा कि डिपॉजिटरी में डीमैट रूप में रखी गई प्रतिभूतियों का मूल्य सितंबर, 2024 में 500 लाख करोड़ रुपये (6 हजार अरब डॉलर या 6 ट्रिलियन डॉलर) तक पहुंच गया। बयान के अनुसार, डिपॉजिटरी को जून, 2014 में 100 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने में 18 साल लगे। नवंबर, 2020 में 200 लाख करोड़ रुपये को छूने में छह साल और लगे तथा 500 लाख करोड़ रुपये के मील के पत्थर को छूने में चार साल लगे। यह रकम भारत, जापान और जर्मनी जैसी टॉप इकोनॉमीज की जीडीपी से भी अधिक है। भारत की जीडीपी 3.94 ट्रिलियन डॉलर, जापान की जीडीपी 4.11 ट्रिलियन डॉलर और जर्मनी की जीडीपी 4.59 ट्रिलियन डॉलर है।
1996 में पेपरलेस हुआ कामकाज
एनएसडीएल के अंतरिम प्रबंध निदेशक (MD) एस गोपालन ने बयान में कहा, “हम इस ऐतिहासिक अवसर पर निवेशकों, बाजार सहभागियों, नियामकों और अन्य संबंधित पक्षों को धन्यवाद देते हैं।” एनएसडीएल एक सेबी-रजिस्टर्ड मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर यूनिट है, जो देश में वित्तीय और प्रतिभूति बाजारों को उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला प्रदान करती है। साल 1996 में डिपॉजिटरी अधिनियम की शुरुआत के बाद, एनएसडीएल ने नवंबर, 1996 में भारत में प्रतिभूतियों के कागज रहित बनाने की अगुवाई की।
IPO के लिये मिली मंजूरी
पिछले महीने डिपॉजिटरी को सेबी से अपना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) लाने की मंजूरी मिल गई। बाजार नियामक से मंजूरी कंपनी द्वारा जुलाई, 2023 में नियामक को अपने शुरूआती आईपीओ दस्तावेज जमा करने के एक साल से अधिक समय बाद मिली।
NSDL क्या है?
हम जब सेविंग अकाउंट खुलवाते हैं, तो यह बैंक या किसी वित्तीय संस्थान में खोला जाता है। इसी तरह डीमैट अकाउंट डिजॉजिटरी पार्टिसिपेंट यानी DP के माध्यम से खोला जाता है। भारत में दो डिपॉजिटरी हैं। एनएसडीएल उनमें से एक है। हम डीमैट अकाउंट खोलने के लिए डिपॉजिटरी से सीधे संपर्क नहीं कर सकते। इसलिए हम एनएसडीएल के साथ रजिस्टर्ड डिपॉजिटरी प्रतिभागियों के माध्यम से डीमैट अकाउंट खुलवाते हैं। अधिकांश स्टॉक ब्रोकिंग हाउस डीपी का काम करते हैं।