Indian stock market Today : यूएस फेड के ब्याज दर पर फैसले के बाद अमेरिकी शेयर बाजार बुधवार को इंट्राडे की अपनी बढ़त खोकर मामूली गिरावट के साथ बंद हुए हैं। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दर में 0.50 फीसदी की कटौती का फैसला लिया। यह ब्याज दर में कोरोना महामारी के बाद 4 साल में पहली कटौती है। फेड के इस फैसले से नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले कर्ज सस्ता हो जाएगा। ब्याज दर में यह कटौती वॉल स्ट्रीट के अनुमानों के अनुरूप ही हुई है। फेड की घोषणा से पहले, S&P 500 मामूली उतार-चढ़ाव देखा जा रहा था। घोषणा के बाद बेंचमार्क इंडेक्स में 1% तक की वृद्धि हुई, लेकिन फिर बढ़त कम हुई और आखिर में इंडेक्स लाल निशान पर बंद हुआ। डाउ और एसएंडपी 500 ने इंट्राडे में उच्च स्तर को छुआ, लेकिन बाद में कमजोर हो गए।
महंगाई को लेकर संतुष्ट है फेड
फेड पूरी तरह से आश्वस्त है कि महंगाई 2 फीसदी के टार्गेट की तरफ बढ़ रही है। अब फेड लेबर मार्केट पर फोकस कर रहा है। इसी को देखते हुए उसने आधा प्रतिशत की कटौती की। फेड ने एक बड़ी कटौती के साथ रेट कट सायकल की शुरुआत की है। फेड ने जॉब मार्केट में धीमी ग्रोथ को देखते हुए यह बड़ा रेट कट किया है। हालांकि, फेड ने मंदी को लेकर कुछ नहीं कहा। एक्सपर्ट्स के अनुसार इस साल यानी 2024 में 0.50 फीसदी की रेट कट की और उम्मीद है। फेड का अनुमान है कि ब्याज दर में कटौती को आगे बढ़ाकर वे बेरोजगारी को 4.4 फीसदी और महंगाई को जल्द ही टार्गेट लेवल तक ला सकते हैं।
गिरकर बंद हुआ यूएस मार्केट
बुधवार को डाउ जॉन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 103.08 अंक या 0.25% गिरकर 41,503.10 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 16.32 अंक या 0.29% गिरकर 5,618.26 पर बंद हुआ। नैस्डैक कंपोजिट 54.76 अंक या 0.31% गिरकर 17,573.30 पर बंद हुआ। बाजार अब फेड की नवंबर की बैठक में कम से कम 25 आधार अंक (0.25%) की कटौती की उम्मीद के अनुसार अपनी प्राइसिंग कर रहे हैं। वहीं, एक और 0.50 फीसदी की कटौती की लगभग 35% संभावना है।
कैसा रहेगा भारतीय बाजार
कैपिटलमाइंड फाइनेंशियल सर्विसेज की एक हालिया रिपोर्ट में पिछले दो दशकों में भारतीय बाजारों के लचीलेपन को उजागर किया गया है, चाहे फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति का रुख कैसा भी हो। फेड की ब्याज दरों में वृद्धि आमतौर पर इक्विटी बाजारों में निगेटिविटी लेकर आती है और मार्केट गिरता है। लेकिन भारतीय बाजार में अक्सर अगले ही दिन रिकवरी देखी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 20 वर्षों में निफ्टी ने स्थानीय मुद्रा के संदर्भ में एसएंडपी 500 से लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है या कम से कम उसके साथ गति बनाए रखी है। इसलिए अगर फेड के इस फैसले से अमेरिका में सुस्ती के कुछ संकेत मिलते भी हैं, तो भारतीय बाजार पर निगेटिव प्रभाव की उम्मीद काफी कम है।
बीते वर्षों में कैसा रहा असर
पिछले 34 वर्षों में अमेरिकी फेड ने छह रेट कट और रेट हाइक सायकल शुरू किए। भारतीय बाजारों के लिए, सबसे अनुकूल अवधि जुलाई 1990 से फरवरी 1994 तक फेड के रेट कट सायकल के दौरान थी। उस समय निफ्टी में 310% की वृद्धि हुई। जून 2004 से सितंबर 2007 तक का रेट हाइक सायकल भी फायदेमंद साबित हुआ, जिसमें 202% की वृद्धि हुई। हालांकि, निफ्टी ने दो रेट हाइक सायकल के दौरान नकारात्मक रिटर्न दिखाया। इनमें पहला फरवरी 1994 से जुलाई 1995 तक था, जब यह 23% गिर गया। दूसरा मार्च 1997 से सितंबर 1998 तक था, जब यह 14% गिर गया।