देश की तमाम राजनीतिक पार्टियों की ओर से अगले साल यानी 2024 के आम चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है। विपक्षी पार्टियां और सत्ता पक्ष अपने-अपने तरीके से चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। इसके साथ ही शेयर बाजार की नजर भी 2024 में होने वाले आम चुनावों पर टिक गई है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि चुनावी साल में शेयर बाजार का प्रदर्शन कैसा रहेगा? क्या बाजार में तेजी जारी रहेगी या आएगी गिरावट? हमने इन सवालों का जवाब ऐतिहासिक आंकड़ों यानी पिछले कुछ चुनावों के दौरान शेयर बाजार की चाल के आधार पर जानने की कोशिश की है। उसी आधार पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि चुनावी साल में कैसी रहेगी शेयर बाजार की चाल और चुनाव के बाद क्या हो सकता है।
चुनाव से पहले हमेशा बाजार में रही अच्छी तेजी
अगर पिछले कुछ लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो भारतीय शेयर बाजार ने चुनाव परिणाम से पहले काफी अच्छा रिटर्न दिया है। भारतीय शेयर बाजारों ने चुनाव पूर्व अवधि में सकारात्मक रुझान का देखने को मिला है। उदाहरण के लिए, 2014 के आम चुनावों से पहले, भारतीय शेयर बाजार के बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स ने चुनाव परिणामों की घोषणा से पहले तीन महीनों में शानदार रिटर्न दिया। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद बाजार में करेक्शन देखने को मिला है।
चुनाव से पहले और बाद के प्रदर्शन पर
अगर हम प्रधानमंत्री अटल बिहारी के समय हुए चुनाव पर नजर डालें तेा 6 अक्टूबर 1999 को लोकसभा चुनाव का रिजल्ट जारी किया गया था। उससे एक साल पहले की अवधि में सेसेंक्स ने 50.7% का शानदार रिटर्न दिया। वहीं, चुनाव के एक साल बाद सेंसेक्स में 13.1% की गिरावट आई। इस तरह निवेशकों को नुकसान हुआ। इसी तरह अगर हम डॉ. मनमोहन सिंह के समय में हुए लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो 17 मई 2009 को चुनाव परिणाम आया था। इससे एक साल पहले की अवधि में सेंसेक्स ने 98.1% का शानदार रिटर्न दिया था। वहीं, चुनाव के एक साल की बाद की अवधि में सेंसेक्स ने 23.3% का रिटर्न दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल पर एक नजर
अगर हम मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को देखें तो चुनाव से पहले और चुनाव के बाद सेंसेक्स ने पॉजिटिव रिटर्न दिया है। 16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आया था। इसके बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। इस रिजल्ट के एक साल पहले की अवधि के दौरान सेंसेक्स ने 16.6% का रिटर्न दिया। वहीं, रिजल्ट के एक साल बाद की अवधि में 20.6% का रिटर्न दिया। हालांकि, उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान 23 मई 2019 को लोकसभा का रिजल्ट आया था। इसके एक साल पहले की अवधि में सेंसेक्स ने सिर्फ 5.2% का रिटर्न दिया। वहीं, एक साल बाद की अवधि में सेंसेक्स ने नीगेटिव रिटर्न दिया। सेंसेक्स इस दौरान 2.8% टूट गया। कुल मिलाकर चुनाव के पहले बाजार में अच्छी तेजी देखने को मिलती है। वहीं, चुनाव के बाद बाजार में करेक्शन आता है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि यह ट्रेंड इस बार भी देखने को मिले। यह बाजार है, यहां कुछ भी संभव है।
चुनावी साल में बड़े उतार-चढ़ाव के लिए रहे तैयार
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार चुनावी साल में एंट्री कर गया है। ऐसे में निवेशकों को आने वाले समय में वोलैटिलिटी के साथ जीने की आदत डालनी होगी। ऐसा इसलिए कि बाजार में किसी दिन बड़ी तेजी तो किसी दिन बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। यह हर चुनावी साल में देखने को मिला है। ऐसे में संभव है कि इस बार के चुनाव से पहले यह ट्रेंड फॉलो हो। हालांकि, लंबी अवधि के निवेशकों को ऐसे परिदृश्यों को दरकिनार कर अपने जोखिम और लक्ष्य के आधार पर ही निवेश करते रहना चाहिए।