बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में आज से यानी 28 मार्च से कैश सेगमेंट में चुनिंदा शेयरों में 'टी+0' या उसी दिन व्यापार निपटान की शुरुआत होने जा रही है। शुरू में इसका बीटा वर्जन पेश करने की कवायद है। एक्सचेंज शुरू में 25 शेयरों के लिए और लिमिटेड संख्या में दलालों के साथ शॉर्टर ट्रेड साइकल शुरू करेंगे। T+0 सेटेलमेंट के तहत शेयरों को खरीदने पर डिलीवरी उसी दिन निवेशक को मिल जाएगी। आने वाले समय में इसके सभी शेयरों में लागू किए जाने की तैयारी है।
T+0 सेटलमेंट का मतलब
T+0 का अर्थ है शेयरों का एक ही दिन में निपटान। इसे ऐसे समझें कि निवेशकों के लिए शेयर का निपटान इससे पहले 1 दिन के बाद होता था लेकिन अब यह निपटान उसी दिन हो जाएगा। इसकी शुरुआत होने से निवेशकों के लिए लागत और समय दक्षता, शुल्क में पारदर्शिता आएगी और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन और समग्र प्रतिभूति बाजार ईकोसिस्टम में जोखिम प्रबंधन मजबूत होगा। T+0 की तरफ से परिवर्तन न सिर्फ बाजार संचालन की दक्षता और लचीलेपन को बढ़ाता है, बल्कि लेनदेन संबंधी जोखिमों को भी काफी हद तक कम करता है, जिससे व्यापारियों और निवेशकों दोनों को तत्काल और ठोस मूल्य मिलता है।
बीएसई ने जारी की T+0 सेटेलमेंट शेयरों की लिस्ट
स्टॉक एक्सचेंज बीएसई की ओर से भी T+0 सेटेलमेंट वाले शेयरों की लिस्ट 27 मार्च को जारी कर दी गई है।
- अंबुजा सीमेंट
- अशोक लेलैंड
- बजाज ऑटो
- बैंक ऑफ बड़ौदा
- बीपीसीएल
- बिरलासॉफ्ट
- सिप्ला
- कोफोर्ज
- डिविज लैबोरेटरीज
- हिंडालको
- इंडियन होटल
- जेएसडब्लू स्टील
- एलआईसी हाउसिंग
- एलटीआई माइंडट्री
- एमआरएफ
- नेस्ले
- एनएमडीसी
- ऑयल एंड नेचुरल गैस
- पेट्रोनेट एलएनजी
- संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल
- टाटा कम्यूनिकेशन
- ट्रेंड
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
- वेदांता
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
इस महीने की शुरुआत में हुआ था ऐलान
इस महीने की शुरुआत में सेबी की ओर से कहा गया था कि नियामक T+0 सेटेलमेंट को लागू करने की दिशा में काम कर रहा है। जल्दी ही इसका बीटा वर्जन वैकल्पिक तौर पर बाजार में पेश किया जाएगा। बता दें, यह बीटा वर्जन फिलहाल कुछ ब्रोकर्स पर ही उपलब्ध होगा और ये T+1 सेटेलमेंट के अतिरिक्त होगा। आगे कहा कि सूचकांक गणना और निपटान मूल्य गणना में T+0 कीमतों पर विचार नहीं किया जाएगा। T+0 सेगमेंट में ट्रेडिंग के आधार पर प्रतिभूतियों के लिए कोई अलग से बंद कीमत नहीं होगी।
सेबी ने आगे कहा कि नया सिस्टम आने से समय की काफी बचत होगी और ये किफायती भी होगा। नियामक की कोशिश निवेशकों के हितों की रक्षा करना है। इससे पहले सरकार ने T+1 सेटेलमेंट पिछले साल लागू किया था। वहीं, T+2 सेटेलमेंट 2003, और T+3 सेटेलमेंट 2002 में लागू किया था।