दुनियाभर के शेयर बाजार उफान पर हैं। अमेरिका, यूरोप, भारत समेत तमाम बाजार में जबरदस्त तेजी बनी हुई है। इसका फायदा निवेशकों को हो हरा है। हालांकि, अब बाजार निवेशकों के लिए एक बुरी खबर आ गई है। शीर्ष अमेरिकी अर्थशास्त्री Harry Dent ने चेतावानी दी है कि 2008 के वित्तीय संकट से भी बदतर 2025 में शेयर बाजर में गिरावट आएगी। अमेरिका में रहने वाले एक बेस्टसेलर लेखक और अर्थशास्त्री हैरी डेंट, दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं का अध्ययन करने के लिए एक अनूठी पद्धति का उपयोग करते हैं, और अपने विश्लेषण का उपयोग करके भविष्य में क्या उम्मीद की जाए, इस पर राय देते हैं। डेंट ने कहा, "मौजूदा शेयर बाजार का बुलबुला, जो पूरी तरह से कृत्रिम है, कम से कम 14 वर्षों से बन रहा है, जो अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व प्रोत्साहन पंपिंग द्वारा प्रेरित है।" अर्थशास्त्री ने तर्क दिया कि अधिकांश बुलबुले लगभग पांच से छह वर्षों तक पहचाने नहीं जाते हैं, इससे पहले कि सब कुछ ढह जाए, हालांकि, वर्तमान बुलबुला थोड़ा और लंबा खिंच रहा है। "इसलिए आपको 2008-09 की तुलना में बड़ी गिरावट की उम्मीद करनी होगी।"
इतनी बड़ी गिरावट आएगी
डेंट ने Nvidia जैसे प्रमुख स्टॉक के हालिया प्रदर्शन पर चेतावनी दी और कहा कि पॉजिटिव रुझान लंबे समय तक नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हम S&P को टॉप से 86% नीचे जाते हुए देखेंगे, और नैस्डैक को 92%। Nvidia जैसा हीरो स्टॉक, जो कि बहुत अच्छा है, और एक बेहतरीन कंपनी है, 98% नीचे चला जाएगा। डेंट ने कहा कि मौजूदा बबल पूरी तरह आर्टिफिशियल है। दुनिया भर की सरकार अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए राहत पैकेज जारी कर रही हैं, जिसकी वजह से शेयर बाजार में बबल बन रहा है।
2008 में आई थी बड़ी गिरावट
आपको बता दें कि सेंसेक्स के लिए 2008 अब तक का सबसे बुरा दौर रहा था। सेंसेक्स 27 अक्टूबर को यह 63 फीसदी गिरकर 7697 तक चला गया था। दरअसल, उस वक्त अमेरिका के सब-प्राइम संकट से पैदा हुई मंदी ने शेयर बाजार को जमीन पर ला दिया था। दुनियाभर के शेयर बाजार क्रैश हुए थे। लोन चुकाने में असमर्थ कर्जदारों को दिए गए कर्ज ने अमेरिका के कई बैंकों को दिबानिया बना दिया था। उसी साल सितंबर में अमेरिका की वित्तीय फर्म 'लेमन ब्रदर्स' के दिवालिया होने की खबर आई। इसके बाद दुनियाभर की तमाम अर्थव्यवस्था में निराशा और बैचैनी आ गई। इसका खामियाजा भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों पर हुआ। निवेशकों के करोड़ों डूब गए।