लोकसभा चुनाव का घमासान पूरे शबाब पर है। तीन चरण का चुनाव हो चुका है। चौथे चरण की तैयारी जोरों पर है। चुनाव में सत्तारूढ़ दल 'एनडीए' और 'इंडिया' गठबंधन में तगड़ा मुकाबला है। चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहेगा, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। इसका असर भारतीय स्टॉक मार्केट पर दिखाई दे रहा है। बाजार में लगातार बिकवाली हाबी है। गुरुवार को लगातार तीसरे दिन बाजार में गिरावट जारी रही। बीएसई सेंसेक्स 1,062.22 अंक लुढ़कर 72,404.17 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह एनएसई निफ्टी 335.40 अंकों की गिरावट के साथ 21,967.10 अंक पर पहुंच गया। बाजार में सिर्फ ऑटो शेयरों में तेजी रही।
1. चुनावी अनिश्चितता: मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि शेयर बाजार पहले मान बैठा था कि इस बार भी लोकसभा चुनावों में बीजेपी-एनडीए गठबंधन की जीत होगी। हालांकि, कम मतदान ने भाजपा की बंपर जीत पर संदेह पैदा कर दिया है। यह कारण बाजार की धारणा को प्रभावित कर रहा है। इससे मुनफावसूली हाबी है, जिससे बाजार नीचे जा रहा है।
2. कमजोर तिमाही नतीजे: 2024 की चौथी तिमाही की नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं है। कई कंपनियों ने कमजोर नतीजे पेश किए हैं। इससे एक ओर उन स्टॉक्स में बिकवाली हुई है। वहीं, दूसरी ओर खरीदारी को भी बढ़ावा नहीं मिला है।
3. यूएस फेड के आक्रामक रुख का असर: अमेरिकी फेडरल रिजर्व अधिकारियों की हालिया आक्रामक बयानबाजी ने भारतीय इक्विटी पर दबाव बढ़ा दिया है। इस सप्ताह, मिनियापोलिस फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष नील काशकारी ने स्थिर मुद्रास्फीति और आवास बाजार का हवाला देते हुए कहा था कि इस साल ब्याज दर में बदलाव की उम्मीद नहीं है। इससे विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे हैं।
4. तेल की कीमतों में बढ़ोतरी: तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है। ब्रेंट क्रूड 84 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया। इस बीच, वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट $79 से ऊपर पहुंच गया है। इसका असर भी भारतीय बाजार पर देखने को मिल रहा है।
5. वीकली एक्सपायरी: वीकली एक्सपायरी के कारण भी आज बाजार में अस्थिरता बढ़ गई। इसने भी बिकवाली को हवा दिया। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में बुधवार को बिकवाल रहे और शुद्ध रूप से 6,669.10 करोड़ रुपये की कीमत के शेयर बेचे।
बाजार नर्वस नाइंटी का शिकार
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार में गिरावट की कई वजह है। सबसे बड़ी वजह आम चुनाव है। आम चुनाव को लेकर बाजार नर्वस नाइंटी का शिकार है। इसके अलावा विदेशी निवेशकों द्वारा भारी बिकवाली हो रही है। रिलायंस इंडस्ट्रीज तथा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एचडीएफसी बैंक जैसे हैवीवेट शेयरों में गिरावट है। इसके अलावा क्रूड ऑयल के दाम बढ़ रहे हैं। कई कंपनियों के नतीजे खराब आए हैं। इन सभी कारणों ने बाजार का मूड खराब किया है जिससे बिकवाली हाबी है।
निवेशकों के डूबे 7 लाख करोड़
बाजार में गिरावट के चलते निवेशकों के करीब सात लाख करोड़ डूब गए। बाजार में लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर अधिक दबाव देखा गया। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 927 अंक या 1.85 प्रतिशत गिरकर 49,109 अंक पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 465 अंक या 2.83 प्रतिशत गिरकर 15,995 पर बंद हुआ।
गिरावट का सबसे ज्यादा असर एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, एनर्जी, इन्फ्रा, कमोडिटी और पीएसई इंडेक्स पर देखा गया है। ये सभी 2 प्रतिशत से लेकर 3.4 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए। सेंसेक्स के 30 में 25 शेयर लाल निशान में बंद हुए हैं। स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, "चुनावी नतीजों पर अनिश्चितता के कारण बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है। इस मंदी के पीछे फिलहाल कोई बड़ा वैश्विक कारण नहीं है। अब तक एफआईआई बेच रहे थे और घरेलू निवेशक बाजार में खरीदारी कर रहे थे, लेकिन चुनाव जैसा बड़ा इवेंट होने के कारण घरेलू निवेशकों ने खरीदारी कम कर दी है और एफआईआई लगातार बिकवाली कर रहे हैं। इस कारण बाजार में दबाव देखने को मिल रहा है।"