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शेयर बाजार: FII का निवेश 9 साल की गर्त में, संकटमोचक देसी निवेशकों का इन्वेस्टमेंट 14 साल के रिकॉर्ड हाई पर

पिछले साल एनएसई लिस्टेड कंपनियों और निफ्टी 500 में विदेशी संस्थानों निवेशकों की हिस्सेदारी क्रमश: 2.04 फीसदी और 1.65 फीसदी घटी थी।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: April 27, 2022 14:21 IST
FII- India TV Paisa
Photo:FILE

FII

Highlights

  • विदेशी निवेशकों का निवेश सभी इंडेक्स में कम हुआ
  • निफ्टी 50 में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़कर 8.3% हो गई
  • बिकवाली के बावजूद, छोटी कंपनियों पर दांव लगा रहे हैं एफआईआई

नई दिल्ली। ऐसा क्या हो गया है कि भारतीय शेयर बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) अपना निवेश लगातार निकाल रहे हैं? दिसंबर तिमाही तक स्टॉक मार्केट में एफआईआई का निवेश गिरकर 9 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। वहीं, दूसरी ओर घरेलू निवेशकों का निवेशक बढ़ते-बढ़ते 14 साल के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। जानकारों का कहना है कि भारत में बढ़ती महंगाई और अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि की घोषणा से एफआईआई लगातार अपना निवेश यहां से निकाल रहे हैं। एनएसई  की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर में लगातार चौथी तिमाही में एनएसई कंपनियों में एफआईआई का निवेश 0.81 फीसदी गिरकर 19.7 फीसदी और निफ्टी 500 कंपनियों में 65 बीपीएस गिरकर 20.9 फीसदी रह गया। 

पिछले साल में लगातार घटी हिस्सेदारी 

दरअसल, पिछले साल एनएसई लिस्टेड कंपनियों और निफ्टी 500 में विदेशी संस्थानों निवेशकों की हिस्सेदारी क्रमश: 2.04 फीसदी और 1.65 फीसदी घटी थी। निवेश में गिरावट की वजह कोरोना के बढ़ते मामले, बढ़ती महंगाई, यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में 0.50 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि और चीन में आर्थिक मंदी के कारण हुआ है। 

देसी निवेशकों की हिस्सेदारी सभी जगह बढ़ी 

एक ओर विदेशी निवेशकों का निवेश सभी इंडेक्स में कम हुआ है। वहीं, दिसंबर तिमाही में दूसरी ओर निफ्टी 50, निफ्टी 500 और एनएसई-सूचीबद्ध कंपनियों में व्यक्तिगत खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़कर 8.3 प्रतिशत हो गई, 9 प्रतिशत और 9.7 प्रतिशत पहुंच गई। नए निवेशक पंजीकरण और  व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी में तेज उछाल के साथ पिछले दो वर्षों में भारतीय इक्विटी में खुदरा भागीदारी कई गुना बढ़ गई है।

एसआईपी से म्युचुअल फंड में निवेश बढ़ा 

एसआईपी प्रवाह में तेज उछाल के कारण, एनएसई-सूचीबद्ध म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी दिसंबर तिमाही में लगातार दूसरी तिमाही में 0.11 प्रतिशत बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई। इसके साथ, म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी अब मार्च 2020 में दर्ज किए गए 7.9 प्रतिशत के पीक शेयर से सिर्फ 0.46 प्रतिशत कम है।

छोटी कंपनियों पर दांव लगा रहे हैं एफआईआई 

पिछले साल बड़े पैमाने पर बिकवाली के बावजूद, एफआईआई ने आश्चर्यजनक रूप से 260 से अधिक छोटी कंपनियों में अपना निवेश बढ़ाया है। साथ ही, जिन कंपनियों में उनकी 5 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है, उनकी संख्या 600 के स्तर पर स्थिर बनी हुई है।

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