स्टॉक मार्केट में चौतरफा बिकवाली देखने को मिली है। 11 बजे तक सेंसेक्स 1,427.09 अंक टूटकर 78,297.02 अंक पर पहुंच गया है। वहीं, एनएसई निफ्टी 460.45 अंक की बड़ी गिरावट के साथ 23,843.90 अंक पर ट्रेड कर रहा है। बाजार में इस बड़ी गिरावट से निवेशकों के आज अभी तक करीब 4 लाख करोड़ डूब गए हैं। वहीं, अक्टूबर महीने में भी निवेशकों के करीब 30 लाख करोड़ डूब गए। ऐसे में आइए जानते हैं कि शेयर बाजार की यह गिरावट कहां थमेगी और इस गिरावट की वजह क्या है?
सेंसेक्स और निफ्टी50 में गिरावट की वजह
- कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाले आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव ने अनिश्चितता पैदा कर दी है। चुनाव परिणाम अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों को प्रभावित कर सकते हैं और इसके बाद भारतीय ब्याज दरों को प्रभावित कर सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के रिजल्ट 6 नवंबर को आने की उम्मीद है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी. के. विजयकुमार के अनुसार, अगले कुछ दिनों में वैश्विक स्तर पर बाजार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों पर केंद्रित रहेंगे और चुनाव परिणामों के जवाब में निकट अवधि में अस्थिरता हो सकती है। इसलिए बाजार में आज बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है।
- फेडरल रिजर्व की 7 नवम्बर की मौद्रिक पॉलिसी की बैठक है। इस बैठक से बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है, क्योंकि ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीद से निवेशकों का व्यवहार प्रभावित हो सकती है। इसका असर भी आज भारतीय बाजार पर देखने को मिल रहा है।
- दूसरी तिमाही में उम्मीद से कम कंपनियों के कमजोर रिजल्ट ने भी बाजार को नीचे गिराने का काम किया है। दूसरी तिमाही के नतीजों से संकेत मिलता है कि निफ्टी ईपीएस वृद्धि वित्त वर्ष 25 में 10% से नीचे जा सकती है, जिससे वित्त वर्ष 25 की अनुमानित आय के लगभग 24 गुना के मौजूदा मूल्यांकन को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।
- विदेशी निवेशकों ने पिछले एक महीने से भारतीय बाजार में बड़ी बिकवाली की है। इसका असर शेयर पर साफ देखने को मिला है। भारतीय बाजार तेजी से नीचे लुढ़के हैं। वहीं, दूसरी ओर विदेशी निवेशक यहां से पैसा निकालकर चीन के बाजार में लगा रहे हैं, जिसके चलते वहां के शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली है।
- ओपेक+ द्वारा दिसंबर में उत्पादन वृद्धि को स्थगित करने के बाद सोमवार को तेल की कीमतों में $1 से अधिक की वृद्धि हुई। ब्रेंट वायदा $1.18 (1.61%) बढ़कर $74.28 प्रति बैरल हो गया, जबकि WTI क्रूड $1.20 (1.73%) बढ़कर $70.69 हो गया। कमजोर मांग और गैर-ओपेक+ आपूर्ति में वृद्धि के कारण ओपेक+ ने अपनी नियोजित 180,000 बीपीडी वृद्धि को स्थगित कर दिया। इसका भी असर भारतीय बाजार पर आज हुआ।
ये सारे कारण भारतीय बाजार में बिकवाली लाने का काम किए हैं। इससे बाजार क्रैश हुआ है। अब बड़ा सवाल है इससे आगे क्या? मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि 23,500 पर निफ्टी का मजबूत सपोर्ट लेवल है। अगर बाजार एक बार टूटकर 23,500 पर जाता है तो वहां से रिकवरी देखने को मिल सकती है। एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार निवेशकों को अभी साइड में बैठकर तमाशा देखना बेहतर होगा। अभी पैसा लगाना या ट्रेड करने का सही समय नहीं है।