Friday, January 03, 2025
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साल के आखिरी दिन शेयर बाजार में कोहराम, निफ्टी 23,600 के नीचे लुढ़का, बड़ी गिरावट के ये हैं 5 कारण

बीएसई सेंसेक्स 404.34 अंक टूटकर 77,843.80 अंक पर खुला है। वहीं, एनएसई 89.60 अंकों की गिरावट के साथ 23,554.80 अंकों पर कारोबार कर रहा है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Dec 31, 2024 9:20 IST, Updated : Dec 31, 2024 10:32 IST
Share Market
Photo:FILE शेयर बाजार

2024 के आखिरी कारोबारी दिन मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार बड़ी गिरावट के साथ खुला है। बीएसई सेंसेक्स 404.34 अंक टूटकर 77,843.80 अंक पर खुला है। वहीं, एनएसई 89.60 अंकों की गिरावट के साथ 23,554.80 अंकों पर कारोबार कर रहा है। बाजार में आज दूसरे दिन बड़ी गिरावट है। सोमवार को मजबूत खुलने के बाद आखिरी कारोबारी घंटे में बाजार में बिकवाली हावी हो गया था। आज बाजार खुलते ही धड़ाम हो गया है। अगर इंडेक्स पर नजर डालें तो आईटी, फार्मा, ऑटो समेत सभी प्रमुख सेक्टर में गिरावट है।

सेंसेक्स में लिस्ट 30 कंपनियों में से टेक महिंद्रा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, जोमैटो, इंडसइंड बैंक, बजाज फाइनेंस और आईसीआईसीआई बैंक के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट रही। कोटक महिंद्रा बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील के शेयरों में बढ़त दर्ज की गई। एशियाई बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और चीन का शंघाई कम्पोजिट नुकसान में रहे जबकि हांगकांग का हैंगसेंग फायदे में रहा। अमेरिकी बाजार सोमवार को नकारात्मक रुख के साथ बंद हुए थे। आखिर बाजार में बड़ी गिरावट की क्या है वजह? आइए जानते हैं। 

बाजार में गिरावट की क्या है वजह?

  1. अमेरिकी बाजार में कोहराम: आज भारतीय बाजार में बड़ी गिरावट की अहम बजट अमेरिकी बाजार में बड़ी गिरावट है। सोमवार को डाउ जोन्स और नैस्डैक में बड़ी गिरावट रही। इसका असर आज भारतीय बाजार में दिखाई दे रहा है। 
  2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली थम नही रही: भारतीय बाजार में गिरावट की दूसरी अहम वजह विदेशी निवेशकों की बिकवाली है। विदेशी निवेशक लगातार भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। इसके चलते भारतीय बाजार रिकॉर्ड हाई से लगातार नीचे जा रहा है। 
  3. मजबूत होता डॉलर: भारतीय बाजार में गिरावट की तीसरी मुख्य वजह डॉलर में लगातार मजबूती आना है। भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है। रुपया टूटकर 85प्रति डॉलर के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। आपको बता दें कि कमजोर रुपया विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार में निवेश करने से हतोत्साहित करता है। यह उनके लाभ को कम करता है, जब वे इसे अपनी घरेलू मुद्राओं में वापस बदलते हैं, जिससे विदेशी पूंजी बाहर निकलती है और बाजारों पर और दबाव पड़ता है। इसका भी असर भारतीय बाजार पर हो रहा है।
  4. कंपनियों के हालत सुधरने के संकेत नहीं: भारतीय कंपनियों की पहली और दूसरी तिमाही के रिजल्ट अच्छे नहीं रहे। तीसरी यानी दिसंबर तिमाही के वित्तीय नतीजे भी ज्यादा बेहतर रहने की उम्मीद नहीं है। इसका असर भी भारतीय शेयर बाजार पर दिखाई दे रहा है। 
  5. मैक्रोइकॉनोमिक बाधाएं: भारत की बिगड़ती मैक्रोइकॉनोमिक तस्वीर को लेकर नई चिंताएं उभरी हैं, जिससे बाजार की धारणा प्रभावित हुई है। नवंबर में देश का व्यापार घाटा अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा आर्थिक विकास दर भी धीमी हुई है। भारत की दूसरी तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर लगभग दो वर्षों में सबसे कम रही और लगातार तीसरी तिमाही में विकास दर में कमी देखी गई। इसका असर भी भारतीय स्टॉक मार्केट पर दिखाई दे रहा है।

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