जापान के निवेशक फर्म सॉफ्टबैंक ने बुधवार को बल्क डील के जरिए गुड़गांव स्थित लॉजिस्टिक्स फर्म डेल्हीवेरी में अपनी 3.8% हिस्सेदारी बेच दी। सॉफ्टबैंक को इस बिक्री से 954 करोड़ रुपये मिले हैं। बल्क डील के जरिये डेल्हीवेरी के प्रति शेयर को 340 रुपये प्रति के भाव पर बेचा गया है। आपको बता दें कि जापानी निवेश बैंक ने आईपीओ से पहले डेल्हीवेरी में करीब 38 करोड़ डॉलर (3,100 करोड़ रुपये) का निवेश किया था। सॉफ्टबैंक लॉजिस्टिक्स कंपनी में सबसे बड़ा शेयर होल्डर है। डेल्हीवेरी में 31 दिसंबर, 2022 तक 18.42% हिस्सेदारी थी। सॉफ्टबैंक ने अक्टूबर 2018 में कंपनी में 22% से अधिक हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था।
टाइगर ग्लोबल ने भी शेयर बेचा था
फरवरी महीने डेल्हीवेरी के शेयरों में एक बल्क डील देखने को मिली थी, जब टाइगर ग्लोबल ने कंपनी के 1.2 करोड़ शेयरों को 335 रुपये के भाव पर बेचा था। इन बिक्री के साथ, सॉफ्टबैंक ने डेल्हीवेरी में अपनी हिस्सेदारी लगभग 14 प्रतिशत और टाइगर ग्लोबल में 2.98 प्रतिशत तक कम कर दी है। हालांकि पिछले एक महीने में स्टॉक में 13 प्रतिशत से अधिक की तेजी आई है, लेकिन नए जमाने के तकनीकी शेयरों पर बाजार मे ओवरऑल सेंटीमेंट अभी भी नकारात्मक बना हुई है। लिस्टिंग के बाद से डेल्हीवेरी के शेयरों में 36 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है। आज कंपनी के शेयर मामूली तेज के साथ 346 रुपये पर बंद हुए।
कंपनी अभी भी घाटे में
डेल्हीवेरी भारत की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक्स कंपनियों में से एक है, जिसके पास वैल्यू चेन में फुल-स्टैक सॉल्यूशंस हैं। कंपनी का घाटा बढ़ता ही जा रहा है। इसने एक साल पहले की तिमाही में 127 करोड़ रुपये के शुद्ध नुकसान के मुकाबले 195.7 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया। परिचालन से इसका राजस्व अक्टूबर-दिसंबर की अवधि में घटकर 1,823.8 करोड़ रुपये रह गया, जो एक साल पहले की तिमाही में 2,019 करोड़ रुपये था। Delhivery का पिछले बारह महीने का परिचालन घाटा 340 करोड़ रुपये है और इसका बाजार पूंजीकरण 25,000 करोड़ रुपये है. इसकी तुलना में, ब्लू डार्ट का पिछले 12 महीने का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 1,030 करोड़ रुपये है, जबकि मार्केट कैप 14,700 करोड़ रुपये है। कंपनी ने लगातार पांचवीं तिमाही में घाटा दर्ज किया है।