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ओमिक्रॉन से लहुलुहान: अप्रैल के बाद शेयर बाजार में सबसे बड़ी गिरावट, सेंसेक्स 1,190 अंक निफ्टी 371डूबा

सेंसेक्स 1,189.73 अंक यानी 2.90 प्रतिशत टूटकर 55,822.01 अंक पर बंद हुआ। यह इस साल 23 अगस्त के बाद सेंसेक्स का सबसे निचला स्तर है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 20, 2021 18:52 IST
ओमिक्रॉन से लहुलुहान:...- India TV Paisa
Photo:AP

ओमिक्रॉन से लहुलुहान: अप्रैल के बाद शेयर बाजार में सबसे बड़ी गिरावट, निवेशकों को 6.79 लाख करोड़ रुपये डूबे

Highlights

  • सेंसेक्स 1,189.73 अंक टूटकर 55,822.01 अंक पर बंद हुआ
  • यह इस साल 23 अगस्त के बाद सेंसेक्स का सबसे निचला स्तर है।
  • BSE में सूचीबद्ध कंपनियों का mCap 6.79 लाख करोड़ रुपये घट

मुंबई। बीएसई सेंसेक्स सोमवार को 1,190 अंक का गोता लगाकर चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। दुनिया के विभिन्न देशों में कोरोना वायरस के नये स्वरूप ओमीक्रोन के मामले बढ़ने के साथ निवेशकों में फैली चिंता के बीच वैश्विक बाजारों में भारी बिकवाली का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ा। कारोबारियों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली के बीच कई केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक नीति रुख को कड़ा किये जाने का भी प्रतिकूल प्रभाव बाजार पर पड़ा है।

तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 1,189.73 अंक यानी 2.90 प्रतिशत टूटकर 55,822.01 अंक पर बंद हुआ। यह इस साल 23 अगस्त के बाद सेंसेक्स का सबसे निचला स्तर है। इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 371 अंक यानी 2.18 प्रतिशत का गोता लगाकर 16,614.20 अंक पर बंद हुआ। बाजार में इस गिरावट के साथ बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 6.79 लाख करोड़ रुपये घटकर 2,52,57,581.05 करोड़ रुपये पर आ गया।

सेंसेक्स के शेयरों में 5.20 प्रतिशत की गिरावट के साथ टाटा स्टील सर्वाधिक नुकसान में रही। इसके अलावा एसबीआई, इंडसइंड बैंक, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक और एनटीपीसी में भी गिरावट रही। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में से सिर्फ एचयूएल और डा.रेड्डीज ही 1.70 प्रतिशत तक के फायदे में रहीं। विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 के नये मामलों में तेजी आने, विदेशी संस्थागत निवेशकों की सतत बिकवाली और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि की रफ्तार मंद पड़ने से दुनिया के प्रमुख बाजारों में गिरावट रही।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘देश में पिछले दो महीने से बाजार में सुधार का दौर चलता रहा है। फिलहाल बिकवाली का कारण दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीति रुख को कड़ा किये जाने से एफआईआई की बिकवाली में तेजी है। इसके अलावा घरेलू बाजार में अन्य एशियाई बाजारों के मुकाबले उच्च मूल्यांकन के कारण निवेशकों के सतर्क रुख अपनाने तथा खुदरा निवेश कम होने से भी बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि हम बाजार में कीमतों के मामले में सुधार के अंतिम चरण में हैं। कुछ खंडों में मूल्य वाजिब हैं। हालांकि पूरे बाजार की बात की जाए तो यह अभी भी उच्च स्तर पर है। इसका असर अल्पकाल में बाजार के प्रदर्शन पर पड़ेगा।’’

रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा कि बाजार में गिरावट वैश्विक स्तर पर कोविड-19 मामलों में वृद्धि का नतीजा है। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि फिलहाल घरेलू स्तर पर स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार पर अगर कोई प्रतिकूल असर पड़ता है तो इसका प्रभाव घरेलू बाजार पर भी होगा। हम निवेशकों को सतर्क रुख रखते हुए जोखिम प्रबंधन की सलाह देते हैं।’’

एशिया के अन्य बाजारों में चीन में शंघाई कंपोजिट सूचकांक, हांगकांग का हैंगसेंग, जापान का निक्की और दक्षिण कोरिया का कॉस्पी भारी नुकसान में रहें। यूरोप के प्रमुख बाजारों में भी दोपहर कारोबार में गिरावट का रुख रहा। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मार्केट ब्रेंट क्रूड 3.51 प्रतिशत लुढ़क कर 70.94 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। हालांकि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर 16 पैसे मजबूत होकर 75.90 पर पहुंच गयी। शेयर बाजार के आंकड़े के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशक शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं और उन्होंने शुक्रवार को 2,069.90 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।

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