भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया ने कहा कि लघु एवं मध्यम उद्यमों (SME) की लिस्टिंग के मामले में मार्केट एक्सचेंजों और मार्केट ईको-सिस्टम को 'नहीं' कहना सीखना चाहिए। उन्होंने इस सेक्टर में हेरफेर और धोखाधड़ी की बढ़ती चिंताओं के बीच ये बात कही। अश्विनी भाटिया का ये स्टेटमेंट ऐसे समय आया है जब एसएमई का मार्केट कैप 2 ट्रिलियन रुपये तक बढ़ गया है और इस सेक्टर में आईपीओ के दौरान सब्सक्रिप्शन हासिल करने के लिए निवेशकों में होड़ मची हुई है।
ऑडिटरों को एक अच्छे डॉक्टर की तरह काम करने की सलाह
अश्विनी भाटिया ने ऑडिटरों और मार्केट ईको-सिस्टम की ओर से जरूरी मेहनत की कमी को उजागर किया, जिसकी वजह से अपर्याप्त जांच और असंतुलन हो रहा है। उन्होंने सीआईआई के फाइनेंसिंग 3.0 समिट में कहा, "एसएमई लिस्टिंग के लिए कोई भी 'ना' नहीं कह रहा है, भले ही वे अपनी बैलेंस शीट बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हों। ऑडिटरों को एक अच्छे डॉक्टर की तरह होना चाहिए- जब वे पैरासिटामोल पर जिंदा रह सकते हैं, तो उन्हें स्टेरॉयड न दें।"
एसएमई को लिस्टिंग के अलावा अन्य विकल्पों की करनी चाहिए तलाश
अश्विनी भाटिया ने एसएमई से आईपीओ लाने का विचार करने से पहले अन्य वैकल्पिक फंडों के माध्यम से अन्य फंडिंग मौकों की तलाश करने का आग्रह किया। उन्होंने एसएमई को सुझाव देते हुए कहा, "सीधे आईपीओ में आने के बजाय, एंजल निवेशकों के पास जाना बेहतर तरीका है। वहां कुछ समय के लिए आगे बढ़ें और फिर एक्सचेंजों में आएं।" सेबी-रजिस्टर्ड ऑल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड्स् (AIFs) ने एसएमई फाइनेंसिंग के लिए 1,169 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जिसमें से 735 करोड़ रुपये पहले ही निवेश किए जा चुके हैं।
अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं सभी एसएमई
फाइनेंसिंग 3.0 समिट में, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के एमडी और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने कहा कि एक्सचेंजों ने एसएमई की लिस्टिंग को लेकर बढ़ती चिंताओं का संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा, "हम संतुलन बनाए रखेंगे और सख्त दिशानिर्देश की उम्मीद है। सभी एसएमई अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।"