अब शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों से जुड़ी गैर लिस्टेड इकाइयों पर भी सेबी लगाम लगाने जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पूंजी बाजार नियामक सेबी ऐसी गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए खुलासा जरूरतों को लागू करने पर विचार कर रहा है, जो किसी कारोबारी समूह का हिस्सा हैं। इस समय सूचीबद्ध कंपनियां व्यापक खुलासा जरूरतों के तहत आती हैं, जबकि गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए ये नियम समान रूप से लागू नहीं होते हैं।
सेबी ने 2022-23 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा, ‘‘सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध इकाइयों के एक जटिल समूह की गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के चलते प्रतिभूति बाजार पारिस्थितिकी तंत्र में आने वाले जोखिमों की पहचान, निगरानी और प्रबंधन करने की जरूरत है।'' इसके अलावा, सेबी समूह-स्तर पर लेनदेन की सूचना को बढ़ावा देकर समूह में अधिक पारदर्शिता लाने की योजना बना रहा है।
वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह के भीतर पारस्परिक हिस्सेदारी और भौतिक वित्तीय लेनदेन के विवरण का खुलासा भी करने की जरूरत पर भी विचार किया जाएगा। देश के शीर्ष कारोबारी समूहों में टाटा समूह, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडाणी समूह, आदित्य बिड़ला समूह और बजाज समूह शामिल हैं, जिन पर इस फैसले का असर पड़ सकता है। नियामक वायदा-विकल्प खंड में शेयर पेश करने के लिए पात्रता मानदंड की समीक्षा करने की योजना भी बना रहा है।