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SEBI ने दिया झटका तो BSE का शेयर 19% तक टूटा, जानें क्यों आई इतनी बड़ी गिरावट

बीएसई ने कहा कि यदि उक्त राशि देनी पड़ती है, तो वित्त वर्ष 2006-07 से वित्त वर्ष 2022-23 तक के लिए कुल अतिरिक्त सेबी विनियामक शुल्क 68.64 करोड़ रुपये के अलावा जीएसटी होगा। इसमें 30.34 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: April 29, 2024 17:05 IST
Bombay Stock Exchange (BSE)- India TV Paisa
Photo:PTI बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का शेयर आज बाजार खुलते ही धड़ाम हो गया है। कारोबार के दौरान शेयर 19% तक टूट गया। हालांकि, बाजार बाद में खरीदारी लौटने से शेयर 13.31% लुढ़कर 2,783 रुपये पर बंद हुआ।  बीते एक साल में इस शेयर ने 400% से अधिक रिटर्न निवेशकों को दिया है। आखिर ऐसा क्या हो गया है कि बीएसई के शेयर में इतनी बड़ी गिरावट आ गई? आपको बता दें कि बाजार नियामक सेबी के बीएसई को प्रीमियम मूल्य के बजाय उसके विकल्प अनुबंधों के ‘कुल मूल्य’ के आधार पर शुल्क का भुगतान करने का निर्देश दिया है। इस फैसले के आने के बाद शेयर धड़ाम हो गया। 

बीएसई की कमाई घटने का अनुमान 

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अनुबंध के कुल मूल्य (नोशनल वैल्यू) तथा प्रीमियम मूल्यों के बीच बड़े अंतर के कारण सेबी को बीएसई के नियामक शुल्क भुगतान में वृद्धि होगी। बीएसई ने शुक्रवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को दी सूचना में कहा, ‘‘ बीएसई को विकल्प अनुबंध के मामले में कुल मूल्य पर विचार करते हुए सेबी को वार्षिक कारोबार के आधार पर नियामक शुल्क का भुगतान करने की सलाह दी जाती है।’’ सूचना में कहा गया, साथ ही बीएसई को बची हुई बिना भुगतान वाली राशि पर 15 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज के साथ पिछली अवधि के लिए नियामक शुल्क का भुगतान करने को कहा गया है। पत्र प्राप्त होने के एक महीने के भीतर राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। 

दावे की वैधता का मूल्यांकन कर रहा बीएसई

सेबी के पत्र में उल्लेख किया गया कि डेरिवेटिव अनुबंधों की शुरुआत के बाद से बीएसई कुल मूल्य के बजाय विकल्प अनुबंधों के लिए प्रीमियम मूल्य पर विचार करते हुए नियामक को वार्षिक कारोबार पर नियामक शुल्क का भुगतान कर रहा है। बीएसई ने रविवार को कहा कि वह वर्तमान में सेबी के पत्र में किए गए दावे की वैधता का मूल्यांकन कर रहा है। विकल्प कारोबार में ‘नोशनल’ यानी कुल कारोबार किए गए सभी अनुबंधों के कुल खरीद/बिक्री मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘प्रीमियम टर्नओवर’ कारोबार किए गए सभी अनुबंधों पर भुगतान किए गए ‘प्रीमियम’ का योग है। चूंकि कुल मूल्य ‘प्रीमियम’ कारोबार से अधिक है, ऐसे में कुल कारोबार का चयन करने पर उच्च शुल्क का भुगतान करना होगा। 

इतने करोड़ रुपये चुकाने होंगे 

बीएसई ने कहा कि यदि उक्त राशि देनी पड़ती है, तो वित्त वर्ष 2006-07 से वित्त वर्ष 2022-23 तक के लिए कुल अतिरिक्त सेबी विनियामक शुल्क 68.64 करोड़ रुपये के अलावा जीएसटी होगा। इसमें 30.34 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अतिरिक्त सेबी विनियामक शुल्क, यदि देय है, तो लगभग 96.30 करोड़ रुपये के अलावा जीएसटी हो सकता है। 

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