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Rocket Shares: सिंगल यूज प्लास्टिक बैन के बाद इन कंपनियों के शेयर हुए रॉकेट, आप भी कर सकते हैं मोटी कमाई

इन कंपनियों के शेयरों में तीन से आठ प्रतिशत की बढ़त हुई है, वह भी तब जबकि इस दौरान (31 मई से एक जुलाई) सेंसेक्स में 4.78 फीसदी की और निफ्टी में 5.01 प्रतिशत की गिरावट आई।

Written By: Indiatv Paisa Desk
Updated on: July 05, 2022 9:39 IST
Plastic Ban- India TV Paisa
Photo:FILE

Plastic Ban

Highlights

  • कागज को प्लास्टिक के विकल्प के रूप में तैयार किया जा रहा है
  • प्लास्टिक बैन के बाद से पेपर इंडस्ट्री के शेयर रॉकेट बने हुए हैं
  • एक महीने में कागज निर्माता कंपनियों के शेयरों में 8% की बढ़त

Rocket Shares:  किसी की आपदा दूसरे के लिए अवसर के समान होती है। यह बात कागज उद्योग के लिए निशाने पर बैठती है। देश में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) वस्तुओं पर बैन लगा दिया गया है। कागज को प्लास्टिक के विकल्प के रूप में तैयार किया जा रहा है। ऐसे में प्लास्टिक इंडस्ट्री की यही आपदा पेपर इं​डस्ट्री के लिए बड़ा अवसर बन गई है। कागज उद्योग की कंपनियों को पाबंदी का लाभ शेयर बाजार पर भी साफ दिख रहा है। प्लास्टिक बैन के बाद से पेपर इंडस्ट्री के शेयर रॉकेट बने हुए हैं। यदि आप भी इसमें निवेश करते हैं तो मुनाफा तय माना जा रहा है। 

8 प्रतिशत उछले शेयर 

कागज उद्योग की बड़ी कंपनियों की बात करें तो बीते एक महीने में सेषसायी पेपर समेत कागज निर्माता कंपनियों के शेयरों में तीन से आठ प्रतिशत की बढ़त हुई है, वह भी तब जबकि इस दौरान (31 मई से एक जुलाई) सेंसेक्स में 4.78 फीसदी की और निफ्टी में 5.01 प्रतिशत की गिरावट आई। 

इन कंपनियों के शेयर हुए रॉकेट 

कंपनी शेयरों में बढ़त
सेषसायी पेपर एंड बोर्ड्स  7.80%
तमिलनाडु न्यूजप्रिंट एंड पेपर्स   7.07%
सतिया इंडस्ट्रीज 5.54%
वेस्ट कोस्ट पेपर मिल्स  3.15%

Plastic Ban
Image Source : FILE
Plastic Ban
 

ये कंपनियों पेपर प्रोडक्ट बनाएं तो ज्यादा फायदा 

एचडीएफसी सिक्योरिटीज में खुदरा अनुसंधान के प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘‘देखा जाए तो इस कागज बनाने वाली कंपनियों को इस प्रतिबंध का लाभ मिलना चाहिए लेकिन ज्यादातर पेपर कंपनियां इस तरह के उत्पाद नहीं बनाती हैं और निकट भविष्य में वे इनके उत्पादन के क्षेत्र में उतरने वाली भी नहीं हैं।’’ 

सबसे बड़ा बवाल स्ट्रॉ पर 

जिन प्रोडक्ट का हमने जिक्र किया है वे आम तौर पर छोटे कारो​बारियों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं। लेकिन इस समय सबसे ज्यादा बवाल पेपर स्ट्रॉ पेपर स्ट्रॉ को लेकर हो रहा हैै। सिंगल यूज प्लास्टिक बैन में फ्रूटी जैसे प्रोडक्ट के साथ आने वाली स्टॉ भी शामिल हैं। इससे जुड़ी प्रोडक्ट में पेप्सी का ट्रॉपिकाना, डाबर का रियल जूस, कोकाकोला का माजा और पार्ले एग्रो का फ्रूटी शामिल है। उन्हें अपने सस्ते लोकप्रिय पैक की कीमत बढ़ानी पड़ेगी। प्लास्टिक स्ट्रॉ पर बैन लगा तो कंपनियां 10 रुपये का पैक नहीं बेच पाएंगी। यानि महंगाई का पत्थर उचट कर आम जनता के माथे पर ही लगेगा। 

कितनी बड़ी है समस्या 

सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा उसे कहते हैं जिसका दोबारा इस्तेमाल करना व्यवहारिक नहीं है। यह कचरा लैंडफिल साइटों पर ही रह जाता है। सर्वे में यह भी पाया गया कि रीसाइकलिंग प्लांट दवाइयों और बिस्किट की पैकिंग के पाउच और ट्रे लेने के लिए भी तैयार नहीं होते। स्टडी में पता चला है कि दिल्ली के सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट में सबसे अधिक मात्रा शैंपू, बॉडी वॉश, पेन, पेट बॉटल, ट्यूब्स आदि की है। यह प्लास्टिक लैंडफिल साइट की मिट्टी, पानी आदि को प्रदूषित कर रही है। 

अमूल, मदर डेयरी, डाबर, पारले की पैकिंग में हुए बदलाव

 सिंगल यूज प्लास्टिक बैन में फ्रूटी जैसे प्रोडक्ट के साथ आने वाली स्टॉ भी शामिल हैं। इससे जुड़ी प्रोडक्ट में पेप्सी का ट्रॉपिकाना, डाबर का रियल जूस, कोकाकोला का माजा और पार्ले एग्रो का फ्रूटी शामिल है। इसका एक अंदाजा इसी से लग सकता है कि अकेली Amul हर दिन 10-12 लाख स्ट्रॉ का इस्तेमाल करती है। ऐसे में एफएमसीजी और फलों के जूस एवं डेयरी कंपनियों ने उत्पादों के पैक के साथ कागज से बने स्ट्रॉ की पेशकश की तरफ कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। पार्ले एग्रो, डाबर, अमूल और मदर डेयरी जैसी प्रमुख कंपनियों ने टेट्रा पैक के साथ अब प्लास्टिक स्ट्रॉ की जगह कागज से बने स्ट्रॉ एवं अन्य वैकल्पिक समाधानों की पेशकश करनी शुरू कर दी है। 

स्ट्रॉ का विकल्प तलाशना मुश्किल

उद्योग निकाय एक्शन अलायंस फॉर रिसाइक्लिंग बीवरेज कार्टंस (एएआरसी) ने कहा कि एफएमसीजी कंपनियों को प्लास्टिक स्ट्रॉ के कारगर विकल्प तलाशने में दिक्कत हो रही है। ऐसी स्थिति में जल्द ही कारगर विकल्प नहीं मिलने पर इन उत्पादों की आपूर्ति बाधित हो सकती है। सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा पिछले साल की गई थी और यह प्रतिबंध एक जुलाई से अमल में आ गया है। इस बीच सिगरेट विनिर्माता कंपनियों ने भी सिगरेट के पैक पर लगने वाली पतली प्लास्टिक परत के विकल्प के तौर पर प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाने वाली (बायोडिग्रेडेबल) परत का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। 

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