लगातार गिर रहे अडानी ग्रुप के शेयरों ने गौतम अडानी से लेकर पूरे देश भर के निवेशकों के पसीने छुड़ा दिए थे। लेकिन इस हफ्ते अचानक कुछ ऐसी बाजी पलटी कि घाटा झेल रहे अडानी के सभी शेयर रॉकेट की रफ्तार से भागने लगे। अडानी के शेयरों में इस तेजी से आप और हम जैसे छोटे निवेशकों को भले ही मामूली फायदा हुआ हो, लेकिन स्टार एनआरआई निवेशक राजीव जैन ने इस तेजी से 3100 करोड़ से अधिक का लाभ कमा डाला।
राजीव जैन के स्वामित्व वाली जीक्यूजी पार्टनर्स ने संकटग्रस्त अडानी ग्रुप के शेयरों पर 15,446 करोड़ रुपये के साहसिक दांव खेला था। उन्होंने ग्रुप की 4 कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी थी। इस रिस्क ने उन्हें केवल दो दिनों के अंतराल में 20% या 3,100 करोड़ रुपये से अधिक का शानदार रिटर्न दिया है।
इन चार कंपनियों में खरीदी थी हिस्सेदारी
राजीव ने अडानी के 4 शेयरों - अदानी एंटरप्राइजेज, अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अदानी ग्रीन एनर्जी और अदानी ट्रांसमिशन - में निवेश किया था। यहां उनके निवेश का बाजार मूल्य 18,548 करोड़ रुपये हो गया है। यह फायदा करीबी 3,102 करोड़ रुपये का है। हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद अडानी के शेयरों में गिरावट के एक महीने लंबे दौर के बाद इस हफ्ते आक्रामक तेजी दिखाई दी है। इसी हफ्ते 92 अरब डॉलर के फंड जीक्यूजी पार्टनर्स ने अरबपति गौतम अडानी के स्वामित्व वाली चार कंपनियों में यह कहते हुए हिस्सेदारी खरीदी थी कि इन कंपनियों के लिए दीर्घकालिक विकास की संभावनाएं पर्याप्त हैं।
33 प्रतिशत बढ़ी स्टॉक की कीमत
जैन ने ब्लॉक डील में गुरुवार को अदानी एंटरप्राइजेज के शेयर 1,410.86 रुपए के भाव पर खरीदे। तब से, स्टॉक की कीमत 33% बढ़ गई है, जिससे उन्हें निफ्टी स्टॉक पर 1,813 करोड़ रुपये का लाभ हुआ। इसी तरह अडानी पोर्ट्स को 596.2 रुपये, अडानी ग्रीन एनर्जी को 504.6 रुपये और अडानी ट्रांसमिशन को 668.4 रुपये के भाव पर खरीदा गया।
खुद GQG के लुढ़के शेयर
हालांकि अडानी के शेयर खरीदने से राजीव को फायदा मिला हो, लेकिन खुद उनके शेयरों में 3% की गिरावट देखने को मिली है। GQG पार्टनर्स के शेयर ऑस्ट्रेलिया में सूचीबद्ध हैं। इस डील में, अडानी समूह की प्रवर्तक इकाई एसबी अदानी फैमिली ट्रस्ट ने नकदी प्राप्त करने के लिए अपनी हिस्सेदारी का एक हिस्सा बेच दिया।इसका उपयोग कर्ज चुकाने के लिए किया जा सकता है।
जैन ने जताया अडानी पर भरोसा
राजीव जैन ने अडानी की कंपनियों में निवेश करते हुए अडानी समूह की असेट्स जैसे हवाई अड्डे, बंदरगाह और ऊर्जा संपत्तियों को "शानदार," "अपूरणीय" और अच्छी कीमत पर उपलब्ध बताया था। उन्होंने द ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू को बताया कि उनकी टीम पांच साल से अडानी कंपनियों का बारीकी से देख रही थी। लेकिन कंपनी का मूल्यांकन अधिक था। जैन ने कहा, "हिंडनबर्ग का अपना दृष्टिकोण है, और हमारे पास अपना विचार है, और हम उनके विचार से असहमत हैं, यही बाजार की रणनीति है।"