फ्लिपकार्ट और फोन पे के बिजनेस अब एक दूसरे से अलग हो गए हैं। कंपनी ने अगले महीने जारी होने वाले आईपीओ से ठीक पहले ये फैसला लिया है। कंपनी ने ये स्पष्ट किया है कि ये दोनों आगे भी वॉलमार्ट ग्रुप का हिस्सा रहेंगे।
अलग होने से क्या होगा बदलाव?
फ्लिपकार्ट से अलग होने से PhonePe पूरी तरह से भारत-नियंत्रित कंपनी बन गई है, यह प्रक्रिया इस साल की शुरुआत में शुरू हुई थी। इसने अक्टूबर में सिंगापुर से भारत में अपने बिजनेस को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू की थी। बता दें, अलग होने की घोषणा आज शुक्रवार को की गई है।
वॉलमार्ट के पास रहेगी अधिकतर हिस्सेदारी
इस लेन-देन के हिस्से के रूप में वॉलमार्ट के नेतृत्व में फ्लिपकार्ट सिंगापुर और फोनपे सिंगापुर के मौजूदा शेयरधारकों ने फोनपे इंडिया में सीधे शेयर खरीदे हैं। वॉलमार्ट दोनों व्यावसायिक समूहों का बहुसंख्यक शेयरधारक बना रहेगा।
मिलेंगे नए अवसर
इन व्यवसायों को अलग-अलग संस्थाओं के रूप में स्थापित करने से दोनों को अपने स्वयं के विकास के लिए कार्य करने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि इन व्यवसायों को अलग-अलग संस्थाओं के रूप में स्थापित करने से निवेशकों को भारतीय तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में भाग लेने के लिए नए अवसर मिलेंगे और दोनों कंपनियों के शेयरधारकों के लिए एंटरप्राइज वैल्यू को अनलॉक करने और उसे अधिकतम करने में मदद मिलेगी।
PhonePe अगले साल लाने जा रही है आईपीओ
PhonePe अगले साल आईपीओ लाने जा रही है। बता दें, कंपनी इसके लिए 8-10 अरब डॉलर का मुल्यांकन करने पर विचार कर रही है। कंपनी का फोकस आईपीओ लाने से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल वित्तीय सेवाएं पोर्टफोलियो, अपने प्रमुख यूपीआई आधारित पेमेंट के संचालन और बैंकिंग सेक्टर में निवेश करने का है।