Right Investment for You: शेयर मार्केट में दो तरह से पैसे लगाए जाते हैं। पहली कैटेगरी होती है ट्रेड करने वालों की और दूसरी कैटेगरी होती है इन्वेस्ट करने वालों की। अब इनमें कौन सी कैटेगरी बेहतर होती है, इसे आप इस आर्टिकल को पढ़कर अच्छी तरह समझ जाएंगे। ये भी समझ जाएंगे कि बिना किसी फाइनेंशियल एडवाइजर के आप खुद अपनी रिसर्च से पैसे कहां और कब लगाएं।
कम पैसे से इन्वेस्टमेंट करना सीखें
देश के बड़े ब्रोकिंग फर्म में से एक Zerodha ने इस बात को माना है कि ट्रेडिंग करने वाले करीब 99 फीसदी लोग घाटे में रहते हैं। उनका पोर्टफोलिया बैंक की FD तक को बीट नहीं कर पाता। अपने साथ जुड़े लोगों के साल भर तक मुनाफे और घाटे का लेखा-जोखा निकालने के बाद जिरोधा के फाउंडर नितिन कामत ने ये बात कही थी। और होता भी कुछ ऐसा ही है, डीमैट अकाउंट में लोगों का ध्यान उनके घाटे की तरफ कम और मुनाफे की तरफ ज्यादा रहता है। वो हर रोज किए जाने वाले कई घाटे के सौदों को ये समझकर टालते जाते हैं, कि एक मुनाफे का सौदा सारे घाटे की भरपाई कर देगा, लेकिन होता ठीक इसके उलट है। इंट्राडे और F&O में लोग सुबह सवा 9 बजे से ट्रेड शुरू कर देते हैं, और दोपहर के सवा 3 बजे तक अपने टर्मिनल से चिपके रहते हैं। कई लोगों की फिलॉसफी ये होती है कि मार्जिन तो कम ही लग रहा है न, चलो अगर दो ट्रेड में घाटा हो गया तो क्या हुआ अगर तीसरे ट्रेड में मुनाफा हो गया तो पिछले दोनों घाटे के ट्रेड की भरपाई हो जाएगी। यहीं पर कई लोग गलत साबित होते हैं और इंट्राडे मार्जिन के चक्कर में एक तो वो अपनी सारी सेविंग लुटा देते हैं और ऊपर से बड़े कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं। तब ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि करें तो क्या करें? क्या इसका उपाय इन्वेस्टमेंट है? तो जवाब है- हां।
ट्रेडिंग में पैसे नहीं बन रहे तो इन्वेस्टमेंट कैसे करें?
दुनिया के सबसे बड़े इन्वेस्टर वॉरेन बफेट से लेकर राकेश झुनझुनवाला ने भी ये बात मान लिया कि उनका वेल्थ ट्रेडिंग से नहीं इन्वेस्टमेंट से बना। इन्वेस्टमेंट करने के लिए सबसे पहले आपको ये माइंडसेट चेंज करना होगा कि आपके पास ढेर सारे पैसे होने चाहिए। कम पैसे से भी आप शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं। लेकिन वो कहते हैं न कि लक्ष्मी से पहले सरस्वती को खुश करना पड़ता है। यानी थोड़ा बहुत रिसर्च कर आप अच्छी और सस्ती कंपनी ढूंढ सकते हैं और फिर थोड़ा थोड़ा कर उसके शेयर खरीद सकते हैं। यहां सबसे जरूरी बात ये है कि आप कोई भी शेयर लॉन्ग टर्म के लिए खरीदें, शॉर्ट टर्म के लिए नहीं। अगर 5 से 10% के ग्रोथ पर ही आप अपने पैसे निकलते रहेंगे तो आपका पैसा उस हिसाब से ग्रो नहीं करेगा जैसा आप चाहते हैं। अगर आप बरगद के पेड़ को दो चार पत्ते निकलने पर ही काट देंगे तो बड़े और छायादार पेड़ कहां से पाएंगे।
जानिए अच्छे और सस्ते शेयर खरीदने का तरीका
शेयर बाजार में ऐसे कई मौके आते हैं जब वाकई में अच्छे फंडामेंटल वाले शेयर सस्ते वैल्यूएशन पर मिलते हैं, सस्ता वैल्यूएशन का मतलब ये है कि आम दिनों के मुकाबले वो शेयर नीचे के भाव पर मिल रहे हों। ऐसे में हफ्ते में एक दिन आपको होमवर्क करने की जरूरत होगी। शुरुआती दौर में सबसे पहले आप उन शेयर्स की लिस्ट बनाइये जिनके प्रोडक्ट आप अपने घरों में इस्तेमाल करते हैं। किचन से लेकर बाथरूम तक, साइकिल से लेकर कार तक, जिस प्रोडक्ट का आप इस्तेमाल करते हैं। उन-उन कंपनियों की लिस्ट बनाइए। अगर उनमें से कोई कंपनी सस्ते भाव पर मिल रही है, तो बस वही मौका है उसे लपकने का।
कैसे जाने आपका पसंदीदा शेयर सस्ता है या महंगा?
इसे जानने के लिए सबसे पहले आप उस शेयर के पिछले एक साल के ग्राफ को देखिए। ये ग्राफ आप NSE या BSE की साइट पर आसानी से देख सकते हैं। मान लीजिए वो शेयर काफी गिरा हुआ है। तब आपके दिमाग की घंटी बजनी चाहिए। तब आप ये देखिए कि क्या इतना गिरने के बाद भी ये शेयर सस्ता हुआ है या नहीं। इसके लिए आप उस शेयर के मोलाई भाव को देखिए जिसे शेयर मार्केट की Typical भाषा में Intrinsic Value कहते हैं। अगर उस शेयर का Current Price यानी अभी का भाव उसकी Intrinsic Value से कम है तो इसका मतलब ये है कि वो शेयर अभी सस्ता मिल रहा है। फिर आप उस शेयर में खरीदारी करने का मन बना सकते हैं, और उस शेयर के करंट लेवल से हर 2% की गिरावट पर ज्यादा से ज्यादा शेयर खरीदते जाएं। मान लीजिए की आपने किसी शेयर को 1000 के लेवल पर 10 शेयर लिया। अगर वो शेयर 980 के लेवल पर आ गया तो उसके 15 शेयर खरीदें। और ऐसे ही आगे खरीदते जाएं। इससे कम वैल्यूएशन पर आप उस शेयर की अच्छी खासी क्वांटिटी खरीद पाएंगे और उस शेयर के थोड़ा सा ऊपर जाने पर अच्छे खासे मुनाफे में आ जाएंगे। लेकिन केवल एक दो पैरामीटर से ही आप किसी कंपनी के Past Record को नहीं जान पाएंगे। फिर इसके लिए क्या करें?
अच्छी कंपनी के कौन- कौन से पैरामीटर?
किसी भी कंपनी के अच्छा होने के पीछे कई पैरामीटर होते हैं। इक्का-दुक्का पैरामीटर से आप किसी भी कंपनी को जज नहीं कर सकते। नए इन्वेस्टर्स के लिए ये बात मैं बता देना चाहता हूं कि वो लार्ज कैप कंपनियों यानी बड़ी कंपनियों को ही शुरुआती दौर में इन्वेस्टमेंट के लिए चुने। इससे उनका रिस्क काफी कम हो जाता है। क्योंकि छोटी-मोटी कंपनियां कब डूब जाएं, आगे उनके साथ क्या होने वाला है। ये लंबे रिसर्च का विषय है। आप इस पचड़े में न फंसे। इसलिए अगर नए इन्वेस्टर्स टॉप-50 कंपनियों में ही इन्वेस्ट करें तो ये उनके लिए अच्छा रहता है। क्योंकि इन बड़ी कंपनियों में रिस्क पेनी स्टॉक्स के मुकाबले कम होता है। उदाहरण के लिए आपके घर में आप जिन प्रोडक्ट्स को देखते हैं उनमें से अधिकतर प्रोडक्ट आप अपने बचपन से ही देखते आ रहे होंगे। यानी ये वैसी कंपनियां हैं जो आपको फ्यूचर में भी अच्छा ग्रोथ देंगी। रही बात बाकी के पैरामीटर की। तो इन पैरामीटर्स में आप कंपनी का PE Ratio देख सकते हैं जो 20 के अंदर हो तो काफी अच्छा माना जाता है(हालांकि ये Ratio हर कंपनी पर लागू नहीं होता है।) PB यानी Price to Book Ratio भी जितना कम हो, वो अच्छा माना जाता है। उस कंपनी का पिछले 5 साल में ग्रोथ कैसा रहा है, प्रमोटर होल्डिंग कम तो नहीं हो रही।
प्रमोटर होल्डिंग कम होने के मतलब ये होता है कि खुद कंपनी के प्रमोटर को अपनी कंपनी के फ्यूचर ग्रोथ पर भरोसा नहीं, इसलिए वो अपनी होल्डिंग बेच रहे होते हैं। लेकिन कुछ कंपनियां ऐसी भी होती हैं जो मुनाफा वसूली के लिए भी अपने कुछ शेयर बेच देती हैं, जैसा कि कुछ दिनों पहले हमने ट्वीटर में देखा। एलन मस्क ने ट्वीटर के कुछ शेयर को बेचकर मुनाफा वसूली की थी। इसके अलावा कंपनी के Debt Ratio को भी ध्यान में रखना होता है। कहीं कंपनी पर कर्ज बढ़ता तो नहीं जा रहा है। कंपनी के पास Free Cash कितना है। कंपनी के पास जितना ज्यादा कैश हो उतना ही वो कंपनी स्टेबल मानी जाती है। इस तरह के कई और पैरामीटर हैं जो केवल एक आर्टिकल में आपको बताना संभव नहीं, उनकी चर्चा फिर कभी करेंगे। अभी मैंने आपको उतना ही बताया है जो शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए जरूरी है। ये सारे पैरामीटर्स आप कहां चेक करेंगे। यही सवाल अभी आपके मन में आ रहा होगा। तो घबराइए नहीं। ये सभी चीजें आप गूगल करके देख सकते हैं। ये कोई बहुत बड़ा हौव्वा नहीं है। अगर आपने एक बार ये सारी चीजें करना शुरू कर दिया न, तो यकीन मानिए आपको किसी फाइनेंशियल एडवाइजर की भी कभी जरूरत नहीं पड़ेगी। और आपका पोर्टफोलिया हमेशा बम-बम रहेगा।