अगर आपने भी स्मॉल-कैप और मिड-कैप फंड्स में पैसा लगाया है तो यह आपके मतलब की खबर है। स्मॉल-कैप और मिड-कैप फंडों में बढ़ते निवेश पर बाजार नियामक सेबी की चिंता के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि इन फंडों में निकासी का कोई चिंताजनक संकेत नहीं दिख रहा है। भाषा की खबर के मुताबिक, एक्सपर्ट्स ने कहा है कि चिंताओं के बावजूद बेहतर रिटर्न की चाहत में इन फंडों में निवेश जारी रहने का अनुमान है। सेबी ने पिछले महीने के आखिर में म्यूचुअल फंड कंपनियों से कहा था कि वे उन निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए एक रूपरेखा तैयार करें, जिन्होंने स्मॉल कैप और मिड कैप फंडों में निवेश किया है।
साल 2023 में दोनों फंड्स द्वारा जुटाई रकम
खबर के मुताबिक, पिछली कुछ तिमाहियों में इन योजनाओं में भारी निवेश के कारण सेबी ने यह कदम उठाया। मिड कैप म्यूचुअल फंड ने कुल मिलाकर साल 2023 में लगभग 23,000 करोड़ रुपये जुटाए, जबकि स्मॉल कैप योजनाओं के लिए यह आंकड़ा 41,000 करोड़ रुपये से अधिक था। इससे पहले साल 2022 में मिड कैप फंड्स ने 20,550 करोड़ रुपये और स्मॉल कैप फंड्स ने 19,795 करोड़ रुपये जुटाए थे। दूसरी ओर लार्ज कैप म्यूचुअल फंडों में 2023 के दौरान लगभग 3,000 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी हुई।
चिंताजनक संकेत नहीं
फिनवाइजर के संस्थापक और सीईओ जय शाह ने कहा कि चेतावनियों के बावजूद मिड कैप और स्मॉल कैप फंडों में निवेश जारी रहने का अनुमान है। फिलहाल निकासी का कोई चिंताजनक संकेत नहीं है। मोतीलाल ओसवाल एएमसी के फंड मैनेजर निकेत शाह ने कहा कि कम अवधि में स्मॉल कैप और मिड कैप खंड में कुछ गिरावट हो सकती है, लेकिन इन योजनाओं में निवेशकों की दिलचस्पी बनी रहेगी। आमतौर पर, मिड-कैप और स्मॉल-कैप हाई जीडीपी ग्रोथ वाले माहौल, म्यूचुअल फंड में हाई फ्लो और कम ब्याज दर वाले माहौल में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। साल 2024 को चुनावी साल मानते हुए और बाजार लार्ज-कैप पर दांव लगा रहे हैं।