घरेलू ब्रोकरेज कंपनी एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने मंगलवार को कहा कि साल 2024 के आखिर में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क निफ्टी के मौजूदा लेवल से 8-10 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि नए साल में भारतीय शेयर बाजार में अच्छी खासी तेजी का रुझान रहेगा। भाषा की खबर के मुताबिक, एनएसई का 50 शेयरों वाला इंडेक्स मंगलवार को 21,453 अंक पर बंद हुआ, जो पिछले एक साल में 17 प्रतिशत ग्रोथ को दर्शाता है। ब्रोकरेज कंपनी ने अनुमान जताया कि नए साल की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति घटकर 2.5 प्रतिशत से नीचे आ जाएगी, जिससे केंद्रीय बैंक अपना रुख बदलेगा और दरों में आधा प्रतिशत की कटौती करेगा।
दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति के नरम पड़ने की उम्मीद
खबर के मुताबिक, एचडीएफसी सिक्योरिटीज के मैनेजिंग डायरेक्टर और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) धीरज रेली ने कहा कि आम चुनाव के नतीजों का बाजार पर सीमित असर होगा। रेली का कहना है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के बाद निवेशकों ने केंद्र में भी भाजपा के बने रहने का अनुमान लगाते हुए मूल्य निर्धारण शुरू कर दिया है। उन्होंने आम चुनाव से परे बाजार की गतिविधियों को देखने का आग्रह किया और कहा कि साल 2024 की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति के नरम पड़ने और आरबीआई के दर घटाने की उम्मीद की जानी चाहिए।
लार्ज कैप प्रायोरिटी में होंगे
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीईओ का कहना है कि ऐसा लगता है कि स्मॉल और मिड-कैप स्टॉक्स में हाल के दिनों में भारी तेजी देखी गई है। इसलिए इनमें सीमित बढ़त की पेशकश की जाएगी। लार्ज कैप के लिए प्राथमिकता स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि कुछ पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस) ने अपनी स्मॉल-कैप स्कीम्स में ताजा फ्लो लेना बंद कर दिया है और अगले साल में कई दूसरे स्टॉक्स भी ऐसा ही करेंगे। संस्थागत अनुसंधान प्रमुख वरुण लोहचब ने कहा कि हाई वैल्युएशन के चलते दांव लगाने के लिए व्यापक सेक्टोरल स्टोरीज को चुनना बहुत मुश्किल हो गया है। निवेशकों को हर क्षेत्र में चुनिंदा शेयरों के बारे में ज्यादा सलेक्शन करने की सलाह दी है।
इन सेक्टर को लेकर पॉजिटिव रुख
एचडीएफसी सिक्योरिटीज का औद्योगिक, बुनियादी ढांचे, रियल्टी, सीमेंट, ऑटो, तेल और गैस और फार्मा क्षेत्रों पर पॉजिटिव दृष्टिकोण है, जबकि उपभोक्ता स्टेपल और उपभोक्ता विवेकाधीन क्षेत्रों और रसायनों पर निगेटिव है। ग्रामीण मांग में कमी एक चिंता का विषय है जिसके चलते उपभोग-केंद्रित कंपनियां अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही हैं।