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म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने जा रहे हैं? इन 5 बातों का जरूर ध्यान रखें वर्ना बाद में पड़ेगा पछताना

Mutual Funds Tips : फंड का चयन करते समय यह देखना काफी अहम है कि उसने पहले कैसा परफॉर्म किया है। विभिन्न समय सीमा में फंड के रिटर्न की जांच करें। इससे आपको फंड की स्टेबिलिटी और विभिन्न बाजार स्थितियों में परफॉर्मेंस के बारे में जानकारी मिलेगी।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : Dec 24, 2024 8:35 IST, Updated : Dec 24, 2024 8:35 IST
म्यूचुअल फंड्स
Photo:FILE म्यूचुअल फंड्स

अगर आप शेयर मार्केट में सीधे इन्वेस्ट करने का जोखिम नहीं ले सकते तो आपके लिए म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प है। यहां आपको टेक्निकल एनालिसिस, फंडामेंटल एनालिसिस और समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो का एनालिसिस करने की जरूरत नहीं पड़ती। आपका यह काम फंड मैनेजर्स कर देते हैं। यहां आपको एसआईपी का विकल्प भी मिलता है, जिससे आप हर महीने छोटी-छोटी रकम म्यूचुअल फंड में डाल सकते हैं। फिर भी कुछ ऐसी बाते हैं, जिनका ध्यान आपको म्यूचुअल फंड में निवेश करत समय रखना चाहिए। आइए इनके बार में जानते हैं।

1. अपने फाइनेंशियल गोल्स पता करें

सबसे पहले तो आप यह पता करें कि आप इन्वेस्टमेंट क्यों कर रहे हैं। खुद से यह पूछें कि आप क्यों निवेश कर रहे हैं। आपके फाइनेंशियल गोल्स क्या हैं और आप कितना जोखिम उठा सकते हैं। जब आप यह जान लेंगे तो म्यूचुअल फंड का चयन करना आसान हो जाएगा। आप उस म्यूचुअल फंड का चयन कर पाएंगे जो आपकी रिस्क लेने की कैपेसिटी के अनुकूल हो। साथ ही आप अपने फाइेंशियल गोल्स के हिसाब से सही इन्वेस्टमेंट हॉरिजन वाले म्युचुअल फंड में पैसा लगा सकेंगे। उदाहरण के लिए आप लॉन्ग टर्म रियाटरमेंट के हिसाब से निवेश करना चाहते हैं, तो ग्रोथ ऑरिएंटेड फंड सही रहेगा।

2. फंड का प्रकार

आप किस टाइप का फंड चुन रहे हैं, यह बड़ा महत्वपूर्ण है। किसी के कहने पर आप बिना सोचे समझे फंड सलेक्ट कर लेंगे, तो बाद में पछताना पड़ सकता है। आपको पहले विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड्स के बारे में समझना होगा। जो आपके निवेश पोर्टफोलियो के लिए सबसे सही हों, ऐसे फंड्स को चुनें। उदाहरण के लिए, आप अधिक रिस्क लेकर अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। डेट फंड बॉन्ड जैसी फिक्स्ड इनकम सिक्युरिटीज में इन्वेस्ट करते हैं। ये रेगूलर इनकम जनरेट करने पर फोकस करते हैं। यहां रिस्क कम होता है। वहीं, हाइब्रिड फंड रिस्क और रिटर्न के बीच बैलेंस बनाते हुए इक्विटी और डेट दोनों में इन्वेस्ट करते हैं। अगर आप किसी स्पेसिफिक सेक्टर में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो थीमैटिक फंड्स में पैसा डाल सकते हैं।

3. फंड परफॉर्मेंस

फंड का चयन करते समय यह देखना काफी अहम है कि उसने पहले कैसा परफॉर्म किया है। विभिन्न समय सीमा में फंड के रिटर्न की जांच करें। इससे आपको फंड की स्टेबिलिटी और विभिन्न बाजार स्थितियों में परफॉर्मेंस के बारे में जानकारी मिलेगी।

4. लोड स्ट्रक्चर

म्यूचुअल फंड का चयन करते समय एग्जिट लोड पर विचार किया जाना चाहिए। यदि आप एक निश्चित समय से पहले अपनी यूनिट्स को भुनाते हैं तो म्यूचुअल फंड कंपनी आपसे एग्जिट लोड वसूलेगी। यह पैसा अर्ली विड्रॉल पर लिया जाता है। यदि आपको अपना निवेश जल्दी भुनाने की आवश्यकता है और फंड एक एग्जिट लोड लगाता है। यह आपके  रिटर्न को कम कर सकता है।

5. फंड का एक्सपेंस रेश्यो

म्यूचुअल फंड एक एक्सपेंस रेश्यो लगाते हैं, जो फंड के एसेट्स के प्रतिशत के रूप में फंड के मैनजमेंट की वार्षिक लागत को दर्शाता है। म्यूचुअल फंड का चयन करते समय इसे भी देखना चाहिए, क्योंकि एक्सपेंस रेश्यो फंड के एसेट्स से काटा जाता है, जो सीधे आपके रिटर्न को प्रभावित करता है। कम एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड का चयन करने का अर्थ है कि आपका ज्यादा पैसा निवेशित रहता है।

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