शेयर बाजार में लिस्टेड बड़ी कंपनियों में जोखिम हमेशा कम होता है। इसके बावजूद शेयर बाजार में निवेश करने वाले निवेशक, लॉर्ज कैप स्टॉक में निवेश करना पसंद नहीं कर रहे हैं। वे छोटी कंपनियों के स्टॉक में पैसा लगा रहे हैं। आपको बता दें कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान मिड-कैप (मझोली कंपनियों में निवेश करने वाले एमएफ) और स्मॉल-कैप (छोटी कंपनियों में निवेश करने वाले) म्यूचुअल फंड योजनाओं के प्रति निवेशकों ने जबर्दस्त उत्साह दिखाया है। इन योजनाओं में करीब 30,342 करोड़ रुपये का निवेश आया है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इन योजनाओं में निवेश करने वाले निवेशकों को काफी अच्छा रिटर्न (प्रतिफल) मिला है, जिसके चलते इनके प्रति उनका आकर्षण बना हुआ है। पिछले साल समान अवधि में मिड-कैप और स्मॉल-कैप कोषों में प्रवाह 32,924 करोड़ रुपये रहा था। खास बात यह है कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) स्मॉल-कैप और मिड-कैप कोषों में ऊंचे प्रवाह को लेकर चिंता जता चुका है।
बंपर रिटर्न के कारण छोटी कंपनियों में कर रहे निवेश
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशक उच्च रिटर्न देने की क्षमता के कारण स्मॉल-कैप और मिड-कैप म्यूचुअल फंड में निवेश जारी रखेंगे। ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) संदीप बागला ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘आने वाले वर्षों में स्मॉल कैप में तेज वृद्धि जारी रहेगी। मुझे उम्मीद है कि निवेश जारी रहेगा, क्योंकि भारतीय उच्च वृद्धि वाले क्षेत्रों में निवेश करना चाहते हैं। स्मॉल कैप कोष को किसी के पोर्टफोलियो आवंटन का अभिन्न अंग माना जाना चाहिए।’’ आंकड़ों के अनुसार, पहली छमाही में मिड-कैप म्यूचुअल फंड में 14,756 करोड़ रुपये और स्मॉल-कैप में 15,586 करोड़ रुपये का निवेश आया। इस तरह कुल आंकड़ा 30,342 करोड़ रुपये बैठता है।
इतने फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई
ट्रेडजिनी के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) त्रिवेश ने कहा कि मिड-कैप और स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड में निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी इन खंड में मिलने वाला ऊंचा रिटर्न है। मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों ने चालू वित्त वर्ष में अबतक क्रमशः लगभग 20 प्रतिशत और 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है। यह निफ्टी और सेंसेक्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन है।