निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड ने पैसिव स्पेस में दो नए फंड्स लॉन्च करने की घोषणा की है। ये नए फंड ऑफर (NFO) ऑटो और रियल्टी थीम पर आधारित हैं। दोनों फंड्स ओपन-एंडेड इंडेक्स फंड्स हैं, जिनका एनएफओ 14 नवंबर 2024 को खुला है और 28 नवंबर को बंद होगा। निप्पॉन इंडिया निफ्टी ऑटो इंडेक्स फंड एक ऐसा पैसिव फंड है जो निफ्टी ऑटो इंडेक्स की परफॉर्मेंस को ट्रैक करेगा। जबकि निप्पॉन इंडिया निफ्टी रियल्टी इंडेक्स फंड निफ्टी रियल्टी इंडेक्स का अनुसरण करेगा।
इंडेक्स की सिक्योरिटीज में करेंगे निवेश
चूंकि ये दोनों पैसिव फंड्स हैं, इसलिए वे अपने-अपने अंतर्निहित इंडेक्स की सिक्योरिटीज में निवेश करेंगे। पैसिव होने के कारण इन फंड्स में निवेशकों के लिए कुछ लाभ हैं- जैसे कम लागत, एक ही यूनिट के माध्यम से विविधीकरण और पारदर्शिता, क्योंकि दोनों फंड्स अपने-अपने इंडेक्स की नकल करेंगे।
ऑटो सेक्टर में हैं अच्छे मौके
भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.1% का योगदान देता है। यह उद्योग विविधता से भरा हुआ है, जिसमें यात्री वाहन, वाणिज्यिक वाहन, तीन पहिया वाहन, दो पहिया वाहन और ऑटोमोटिव कंपोनेंट निर्माता शामिल हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की मांग बढ़ रही है, जो सरकारी प्रोत्साहन, बैटरी की घटती लागत और पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से प्रेरित है। भारत के ऑटो सेक्टर में ईवी की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2030 तक 40% तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे ऑटो सेक्टर का विकास होगा।
1 साल में 48.7% CAGR
निफ्टी ऑटो इंडेक्स टीआरआई ने पिछले एक वर्ष में 48.7% की सीएजीआर दी है, जबकि निफ्टी 50 टीआरआई ने 31 अक्टूबर, 2024 तक 28.3% सीएजीआर का रिटर्न दिया है। निफ्टी ऑटो टीआरआई ने 3 और 5 वर्ष की अवधि में निफ्टी 50 टीआरआई को पछाड़ा है।
रियल एस्टेट में भी अच्छी ग्रोथ
देश का रियल एस्टेट बाजार 2017 से 2047 के बीच 13.8% की सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है, जो 30 वर्षों में 48 गुना की जबरदस्त वृद्धि को दर्शाता है। भारतीय रियल एस्टेट उद्योग रोजगार का दूसरा सबसे बड़ा जनरेटर है, जो कुल रोजगार में 18% का योगदान देता है। निफ्टी रियल्टी इंडेक्स टीआरआई ने पिछले एक वर्ष में 66% सीएजीआर की दर से रिटर्न दिया है, जो उसी अवधि में निफ्टी 50 टीआरआई से 2.3 गुना अधिक है। इसने 31 अक्टूबर तक 3, 5 और 10 वर्ष की अवधि में सीएजीआर के आधार पर निफ्टी 50 को भी पछाड़ा है। सरकारी नीतियों, बढ़ती आय, शहरीकरण, अनुकूल जनसांख्यिकी और बढ़ती क्रय शक्ति वाली मध्यवर्गीय आबादी, साथ ही आसान वित्तीय विकल्पों तक पहुंच, इन दोनों क्षेत्रों की वृद्धि में महत्वपूर्ण उत्प्रेरक हैं।